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झारखंड भाजपा कार्यसमिति : अर्जुन मुंडा ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन पर उठाया सवाल, बोले कड़िया मुंडा – मुझसे भी नहीं पूछा

जमशेदपुर : आदित्यपुर में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन किया गया है, जिसका आम जनमानस पर सीधे तौर पर असर पड़ा है. मुझे लगता है कि जनता पर जो असर पड़ रहा है, उससे सरकार को […]

जमशेदपुर : आदित्यपुर में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन किया गया है, जिसका आम जनमानस पर सीधे तौर पर असर पड़ा है. मुझे लगता है कि जनता पर जो असर पड़ रहा है, उससे सरकार को अवगत कराया जाये. संशोधन को लेकर मुख्यमंत्री को फिर से विचार करना चाहिए. जनता के हित में फैसला लिया जाना चाहिए. फैसला लेने से पहले सोचना चाहिए कि इसका दूरगामी परिणाम पड़ेगा या शाॅर्ट टर्म में इसका लाभ दिखेगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र भी लिखा, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.
जनता में भ्रम की स्थिति : उन्होंने कहा : 1948 में जब संविधान बन रहा था, तब संविधान सभा ने पहले ही पेज में इसके बारे में विस्तृत चर्चा की थी. ऐसे भी यदि किसी एक्ट में बदलाव हो, तो जनता को यह बताना चाहिए कि इसका लाभ क्या होने जा रहा है. अगर फायदा नहीं हो रहा है, तो उसे वापस लेने में किसी तरह का कोई गुरेज नहीं होना चाहिए. जनता में इसे लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है.
संशोधन को शॉर्ट टर्म में देखा गया : अर्जुन मुंडा ने कहा : त्रिपुरा छठे शिड्यूल में आता है. इस मुद्दे पर पिछले दिनों ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगर जमीन पर कोई व्यक्ति लोन लेता है, तो उसकी जमीन बैंक नीलाम कर सकती है. ऐसी परिस्थिति में सरकार का जो संशोधन है, उसके तहत अगर कोई मालिकाना हकवाले व्यक्ति की जमीन लेकर कंपनी लगाता है या उसका किसी तरह का इस्तेमाल करता है, तो उसमें 51 फीसदी हिस्सा जमीन के मालिक का होगा.
जबकि 49 फीसदी निवेशक का होगा. झारखंड में अगर कोई कंपनी लगती है, तो 51 फीसदी हिस्सेदारीवाला ही बड़ा स्टेक होल्डर होगा, जिस पर बैंकों का लोन मिलेगा और वह ही लोन में गारंटर होगा. अगर कंपनी लोन नहीं चुका सकी, तो फिर आदिवासी व्यक्ति की जमीन बैंक अधिग्रहीत कर सकती है. इससे नुकसान फिर से जमीन मालिक को ही होगा. इस संशोधन को शार्ट टर्म में देखा गया है, जबकि लांग टर्म में किसी भी फैसले को देखा जाना चाहिए.
जयपाल सिंह ने किया था विरोध : अर्जुन मुंडा ने कहा : सरदार वल्लभ भाई पटेल के कार्यकाल के दौरान भी सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन जयपाल सिंह मुंडा ने इसका विरोध किया था. उस वक्त वल्लभ भाई पटेल ने इस संशोधन को रोक दिया था. इस कानून में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है. वर्ष 1996 में आंशिक संशोधन हुआ था. सिर्फ कॉलेज और स्कूल के नाम पर सीएनटी व एसपीटी एक्ट के तहत दी जा रही जमीन के संदर्भ में था. उद्योग और सरकारी कार्यों के लिए जो तय नियम था, वह आज भी बरकरार ही है.
विपक्ष को दे रहे मौका
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा : सीएनटी व एसपीटी एक्ट को लेकर विपक्ष को हम लोग ही मौका दे रहे हैं. उनके हाथों में हम नया हथियार दे रहे हैं. इस हथियार को उपलब्ध नहीं कराना चाहिए. सरकार को इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए.
बोले कड़िया मुंडा
संशोधन पर हमसे भी बात नहीं हुई
कार्यसमिति की बैठक के बाद लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष और सांसद कड़िया मुंडा ने कहा : विपक्ष का तो काम है विरोध करना. जहां तक सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन की बात है, तो यह मैंने अब तक देखा नहीं है कि आखिर हुआ क्या है और इसका लाभ या हानि क्या होना है. उन्होंने बताया कि संशोधन को लेकर हमसे कोई बातचीत पहले नहीं हुई है. अगर बातचीत होती, तो सुझाव जरूर देता, लेकिन यह सरकार के क्षेत्राधिकार है, जिसमें हम लोग हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. इसका अध्ययन करने के लिए सरकार से इसके दस्तावेज की मांग करेंगे. उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि हो सकता है हम बूढ़े हो गये हैं, इस कारण हमसे कोई रायशुमारी नहीं की गयी होगी.
रघुवर दास ने कहा, विपक्ष की हवा में न बहें, मंच पर बात करें
प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सीएनटी व एसपीटी को लेकर विपक्ष की हवा में किसी को बहने की जरूरत नहीं है. अगर किसी को आपत्ति है, तो हम खुले मंच पर बात करने को तैयार हैं. सरकार का दरवाजा हमेशा खुला है. आदिवासी के नाम पर राजनीति करनेवालों को किसी भी हाल में बरदाश्त नहीं किया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा : सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन व सरलीकरण का जो काम किया गया है, वह राज्यहित में है. इसको लेकर अर्जुन मुंडा ने भी सुझाव दिया है. मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के भाषण के बाद बैठक को संबोधित कर रहे थे.
हमारी नीति व नीयत साफ : मुख्यमंत्री ने कहा : हमारी नीति व नीयत साफ है. कुछ लोग हैं, जो आदिवासी के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रहे हैं. आदिवासियों को गरीब बना कर उनके नाम पर अपने स्वार्थ की रोटी सेंक रहे हैं. ऐसे लोगों को किसी भी हाल में बरदाश्त नहीं कर सकते. उन्होंने कहा : धारा के विपरीत तैर कर दिखाना ही जीत कहलाता है, लेकिन विरोधी की ही हवा में बहना कोई चालाकी नहीं है. घर में कई तरह के विवाद होते रहते हैं. भाजपा में भी कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद होना अच्छा नहीं है.
जनता सबकुछ देखती है : मुख्यमंत्री ने कहा : कोई राजनीतिक क्षेत्र में आया है, तो उसको यह सोचना चाहिए कि वह जनता के बीच है. जनता सबकुछ देखती है. कुछ लोग हैं, जो अपना निजी एजेंडा पार्टी पर लागू करना चाहते हैं, जिन्हें कार्यकर्ता कभी भी बरदाश्त नहीं करेंगे. हम लोगों ने जनता के बीच जाने का फैसला लिया है और विरोधियों की हवा को अपनी ओर मोड़ने में भाजपा के लोग सक्षम हैं.

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