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रिनपास नियुक्ति घोटाले में कोर्ट के निर्देश, राजेंद्र सिंह, हेमलाल व बीके त्रिपाठी पर केस

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने न्यायालय के निर्देश पर गुरुवार को रिनपास नियुक्ति घोटाले में केस दर्ज कर लिया है. एसीबी ने इसकी सूचना सरकार और न्यायालय को दे दी है. रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने न्यायालय के निर्देश पर शुक्रवार को रिनपास नियुक्ति घोटाले में तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव आइएएस अधिकारी बीके त्रिपाठी, […]

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने न्यायालय के निर्देश पर गुरुवार को रिनपास नियुक्ति घोटाले में केस दर्ज कर लिया है. एसीबी ने इसकी सूचना सरकार और न्यायालय को दे दी है.
रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने न्यायालय के निर्देश पर शुक्रवार को रिनपास नियुक्ति घोटाले में तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव आइएएस अधिकारी बीके त्रिपाठी, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह, हेमलाल मुरमू, डॉ अमूल रंजन सहित 14 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. प्राथमिकी में डॉ अशोक कुमार नाग, डॉ मनीषा किरण, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कप्तान सिंह सेंगर, एसोसिएट प्रोफेसर पवन कुमार सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बलराम प्रसाद, मेडिकल अफसर अनिल कुमार साहू, लिपिक रंजन कुमार और सुरेंद्र सिंह रोहिल्ला के नाम भी शामिल है. केस दर्ज कर एसीबी ने इसकी सूचना सरकार और न्यायालय को दे दी है. एसीबी के चीफ पीआरके नायडू ने केस दर्ज होने की पुष्टि की है.
जांच में पाये गये थे दोषी : एसीबी ने जांच में डॉ अमूल रंजन को गलत तरीके से प्रभारी निदेशक प्रभारी बनाने के लिए आइएएस बीके त्रिपाठी, तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह और हेमलाल मुरमू को जिम्मेवार पाया था. वहीं, अन्य चिकित्सकों सहित अन्य कर्मियों की नियुक्ति को भी जांच में गलत पाया था. इसके अलावा डॉ अमूल रंजन पर वित्तीय गड़बड़ी में भी शामिल होने की बात सामने आयी है. आरोपियों को गलत तरीके से वेतन वृद्धि का लाभ भी दिया गया था.
प्रभारी निदेशक डाॅ अमूल रंजन सहित अन्य की नियुक्ति गलत
रिनपास में डॉ अमूल रंजन सहित अन्य की नियुक्ति की जांच एसीबी ने न्यायालय के निर्देश पर वर्ष 2015 में की थी. जांच में एसीबी ने पाया था कि डॉ अमूल रंजन की नियुक्ति रिनपास में सीनियर साइकोलॉजिस्ट के पद पर गलत तरीके से हुई थी. तत्कालीन विभागीय उपसचिव के लकड़ा ने वर्ष 2000 में नियुक्ति के संबंध में विभाग को रिपोर्ट दी थी, लेकिन विभाग ने अमूल रंजन के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. बाद में अमूल रंजन ने क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के पद पर मसरूहजहां के अलावा एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कैप्टन सिंह सेंगर, डॉ बलराम, डॉ केके नाग और लिपिक अनिल साहू सहित दो अन्य लोगों की नियुक्ति गलत ढंग से करने में अहम भूमिका निभायी.
प्रभारी निदेशक बनाने की अनुशंसा कर फंसे दो पूर्व मंत्री और सचिव
एसीबी ने जांच में पाया था कि वर्ष 2010 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुरमू ने पीत पत्र लिख कर डॉ अमूल रंजन को प्रभारी निदेशक बनाये जाने की अनुमति दी थी, जबकि डॉ अमूल रंजन इस पद के योग्य नहीं थे. वर्ष 2013 में जब महालेखाकार (एजी) ने इस पर आपत्ति की, तब सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया. दोबारा उन्हें रिनपास का प्रभारी निदेशक बनाया गया.
तब इससे संबंधित अनुशंसा तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव बीके त्रिपाठी ने की थी. जिस पर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने सहमति दे दी थी. जब डॉ अमूल रंजन को प्रभारी निदेशक बनाया गया था, उस वक्त रिनपास में दो-दो एमबीबीएस डाॅक्टर मौजूद थे. पूर्व में जब डॉ अमूल रंजन को पद से हटाया गया था, तब विभागीय सचिव बीके त्रिपाठी ही थे. इसलिए डॉ अमूल रंजन को गलत तरीके से प्रभारी निदेशक बनाने के लिए दो पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव को जांच में एसीबी ने जिम्मेवार ठहराया है.

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