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Political News : 75 प्रतिशत नियोजन नीति को शराब दुकान आवंटन में भी लागू करे हेमंत सरकार : बाबूलाल

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मिल कर हेमंत सरकार को उत्पाद नीति के तहत सलाह देने का आग्रह किया.

रांची (प्रमुख संवाददाता). प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मिल कर हेमंत सरकार को उत्पाद नीति के तहत सलाह देने का आग्रह किया. श्री मरांडी ने सुझाव देते हुए कहा कि जिस प्रकार केंद्र सरकार पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी के लाइसेंस निर्गत करने में दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, दिव्यांगों और सेना से सेवानिवृत जवानों को प्राथमिकता देती है, उसी प्रकार राज्य सरकार भी गरीब आदिवासी महिलाओं को जनसंख्या के आधार पर एवं सेना से सेवानिवृत जवानों के लिए देशी एवं विदेशी शराब दुकानों की बंदोबस्ती में आरक्षण दे.

श्री मरांडी ने कहा है कि नयी उत्पाद नीति में एक व्यक्ति-एक दुकान को मानक मानकर एक व्यक्ति या प्रतिष्ठान को पूरे राज्य में एक ही शराब दुकान को संचालित करने का प्रावधान हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को व्यवसाय करने का अवसर मिल सके एवं भ्रष्टाचार नहीं हो सके. जिस प्रकार राज्य सरकार ने निजी क्षेत्रों में राज्य के लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का निर्णय कैबिनेट में लिया है, उसे शराब दुकानों के आवंटन में भी लागू करे.

उत्पाद नीति की विसंगतियों पर ध्यान आकृष्ट कराया

नेता प्रतिपक्ष ने उत्पाद नीति की विसंगतियों पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि इसके पहले भी वर्तमान मुख्यमंत्री के नेतृत्व में दो बार उत्पाद नीति लागू की जा चुकी है. लेकिन इन नीतियों का लाभ न तो राजस्व हित में रहा और न ही राज्य के छोटे-छोटे व्यवसायियों और बेरोजगार युवकों के पक्ष में रहा. इसके विपरित वो नीतियां शोषण एवं राजस्व के क्षति का कारण बनी. दुकानों में निर्धारित मूल्य से अधिक दरों पर शराब बेचने के कारण आम जनता से अवैध वसूली की गयी और इसके परिणामस्वरूप प्राप्त होने वाला राजस्व शराब माफियाओं और दलालों के जेब में चला गया. नयी उत्पाद नीति में एक व्यक्ति या प्रतिष्ठान को जिला स्तर पर तीन यूनिट यानि नौ दुकानें एवं पूरे राज्य में अधिकतम 36 दुकानें मिलने का प्रावधान रखा गया है. ऐसे में शराब के बड़े-बड़े कारोबारी पूरे राज्य में दुकानों के आवंटन में अपनी भागीदारी करेंगे. परिणामस्वरूप अधिकतर शराब दुकानें उन्हीं के हाथों में चले जाने की संभावना ज्यादा है और वे लोग मनमानी तरीके से शराब का कारोबार कर सकेंगे.

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