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मच्छरदानी में कैद 10 हजार की आबादी, इलाके में बन गये हैं कचरे के 5 पहाड़
रातू के झिरी में पसरा है राजधानी का छह लाख टन कचरा, लोग बेहाल उत्तम महतो रांची : रातू के झिरी में रहनेवाले 10 हजार से अधिक लोगों का जीवन मच्छरदानी में कैद हो गया है. यहां के लोगों को रात-दिन मच्छरदानी में ही रहना पड़ता है. घरों के दरवाजे और खिड़कियों पर परदे नहीं, […]
रातू के झिरी में पसरा है राजधानी का छह लाख टन कचरा, लोग बेहाल
उत्तम महतो
रांची : रातू के झिरी में रहनेवाले 10 हजार से अधिक लोगों का जीवन मच्छरदानी में कैद हो गया है. यहां के लोगों को रात-दिन मच्छरदानी में ही रहना पड़ता है. घरों के दरवाजे और खिड़कियों पर परदे नहीं, बल्कि मच्छरदानी लगानी पड़ती है. ङिारी की यह स्थिति नगर निगम के कारण हुई है.
नगर निगम ने इस इलाके को कचरे का डंपिंग यार्ड बना दिया है. शहर से निकलनेवाले कचरे को इसी इलाके में डंप किया जाता है. पिछले चार साल में यहां शहर के विभिन्न मुहल्लों से निकले छह लाख टन से अधिक कचरे को डंप किया जा चुका है. स्थिति ऐसी हो गयी है कि इस इलाके में कचरे के चार से पांच पहाड़ बन गये हैं.
जमीन बेच निकलना चाहते हैं लोग, नहीं मिल रहे खरीदार
मोहल्ले के लोगों के अनुसार, अलग झारखंड राज्य बनने के बाद उन्होंने यहां जमीन खरीदी थी. पर पिछले पांच सालों से यहां के लोगों की दिनचर्या ही बदल गयी है. रणविजय सिंह की मानें, तो उन्होंने यहां छह कट्ठा जमीन खरीदी थी. सोचे थे कि आधी जमीन पर घर बनायेंगे. जब जमीन की कीमत बढ़ेगी, तो तीन कट्ठा बेच देंगे. अभी आलम यह है कि जो भी यहां जमीन देखने आता है, वह सिर्फ देख कर ही चला जाता है. दोबारा नहीं आता.
शहर से हर दिन निकलता है 550 टन कचरा
शहर से रोज करीब 550 टन कचरा निकलता है, जिसे निगम ङिारी में डंप करता है. इलाके में एक माह में 15300 टन कूड़ा जमा हो जाता है. यह आंकड़ा साल में 1.83 लाख टन हो जाता है. चार वर्षो में यहां छह लाख टन से अधिक कचरा जमा हो गया है. निगम के 150 ट्रैक्टर, पांच कॉम्पैक्टर, डंपर व अन्य छोटी गाड़ियों से कचरे ङिारी पहुंचाये जाते हैं.
2.40 करोड़ हुए खर्च, पर नहीं लगा प्लांट
ङिारी में कूड़ा निष्पादन प्लांट लगाने के लिए नगर निगम ने एटूजेड कंपनी को 2.40 करोड़ की राशि उपलब्ध करायी थी. कंपनी ने इस राशि से केवल पिलर गाड़ने का काम किया है. कहीं-कहीं पर प्लींथ लेवल तक काम किया गया है. एक जगह पहाड़ काट कर समतल किया है.
हो सकती है गंभीर बीमारी
‘‘कचरे के आसपास में रहने से डायरिया, दस्त, जांडिस, चर्म रोग, सांस लेने में परेशानी सहित इंफेक्शन जैसी बीमारियां हो सकती हैं. मनुष्य को कूड़े के ढेर से दो किमी दूर रहना चाहिए.
डॉ डीके झा, फिजिशियन, रिम्स
बदबू के कारण रिश्तेदार नहीं आते
‘‘कचरे से उठती बदबू के कारण अब तो इस मोहल्ले में किसी का रिश्तेदार आता भी नहीं है. अगर कोई आया भी, तो वह आधे घंटे में ही चला जाता है. मोहल्ले में एक भी ऐसा घर नहीं है, जिसमें 08-10 मच्छरदानी न हो.
अनीता देवी
‘‘मोहल्ले में कहीं भी रहना सुरक्षित नहीं है. आदमी तो खैर मच्छरदानी में भी रह जाता है, परंतु जानवरों को हम कहां ले जायेंगे. पिछले साल मक्खी-मच्छर के प्रकोप के कारण मेरी तीन गाय मर गयी, यहां घर बना कर हम पछता रहे हैं.
मंजीत सिंह
‘‘मोहल्ले के बच्चे सुबह में स्कूल जाते हैं. फिर स्कूल से आने के बाद मच्छरदानी में घुस जाते हैं. उनके खाने-पीने से लेकर सोने व पढ़ने का सारा काम मच्छरदानी के अंदर ही होता है.
सुनीता देवी
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