रांची: युगांतर भारती के तत्वावधान में गंगा दशहरा के अवसर पर 28 व 29 मई को देवनद दामोदर महोत्सव का आयोजन किया जायेगा. कार्यक्रम के तहत 28 मई को दामोदर नदी के उदगम स्थल चूल्हापानी (चंदवा) से लेकर उरीमारी, सयाल, रामगढ़, फुसरो, पतरातू सहित 20 स्थानों पर दामोदर नदी का पूजन किया जायेगा.
इसके अलावा 29 मई को सिदरौल में युगांतर भारती के कार्यालय में दामोदर नदी से संबंधित प्रदर्शनी का आयोजन होगा. उसी दिन पर्यावरण को लेकर महाधिवेशन का भी आयोजन किया जायेगा.
यह जानकारी महाधिवेशन के संचालन समिति के सदस्यों प्रो एमपी सिंह, प्रो एमके जमुआर, आशीष शीतल एवं संजय सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में दी. प्रो एमके जमुआर ने कहा कि झारखंड के लिए दामोदर जीवनरेखा की तरह है. यह नदी चूल्हापानी (चंदवा) से निकल कर खिलारी, पिपरवार, सयाल, पतरातू, रामगढ़, रजरप्पा, जरीडीह बाजार, बेरमो, फुसरो, चंद्रपुरा, सुदामडीह, पंचेत होते हुए बंगाल में प्रवेश करती है, जहां यह बराकर नदी से मिलती है. इसके तटों पर अनेक शहरों और कस्बों का विकास हुआ है. अब दामोदर काफी प्रदूषित हो चुकी है. हर रोज विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के द्वारा लाखों लीटर गंदा पानी व कचरे दामोदर में गिराये जाते हैं. इसके पानी में तेल व गंदगी की मात्र अनुमति से 200 गुना अधिक है. उन्होंने कहा कि दामोदर को प्रदूषण मुक्त करना जरूरी है. इसके लिए व्यापक तौर पर जनजागरण अभियान की जरूरत है. प्रो जमुआर ने कहा कि गंगा दशहरा के अवसर पर भारत में नदी के पूजन की पुरानी परंपरा है. नदी पूजन के पीछे यही सोच है कि हम अपने इस प्राकृतिक उपहार के लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें तथा नदी की रक्षा का संकल्प लें.
