प्रतिनिधि,
डकरा.
सुभाषनगर काॅलोनी में बड़े पैमाने पर बेचे जा रहे नकली अंग्रेजी शराब से संबंधित खबर शुक्रवार को प्रभात खबर में छपने के बाद आज किसी भी दुकान पर सप्लायर शराब का खेप पहुंचाने नहीं आया. इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार 10 बाइक सवार प्रतिदिन डकरा और खलारी में दो बड़े बैग में शराब की बोतलें भरकर ऐसे दुकान, होटल व ढाबाें में पहुंचाते हैं, जहां इसकी बिक्री की जाती है. उक्त शराब हजारीबाग, चतरा जिले में पड़ने वाले और बुढ़मू, चान्हो के कुछ गांवों में तैयार किया जाता है. मोटरसाइकिल सवार को बिजुपाड़ा और पिपरवार में मेनूफैक्चरर डिलीवर करते हैं और फिर वह मांग के अनुसार जगह पर पहुंचाया जाता है. इसकी देखरेख पिपरवार और खलारी के लाइसेंसी शराब दुकान पर काम करने वाले दो युवक करते हैं. एक मोटरसाइकिल सवार एक बार में लगभग 20 से 25 हजार रुपये कीमत तक की बोतलें भरकर चलता है. दुकानदार 40 हजार रुपये का नकली शराब 25 हजार रुपये देकर खरीदते हैं. बाइक सवार को एक खेप के लिए 2000 रुपये दिये जाते हैं. 40 हजार रुपये का शराब तैयार करने में 15 हजार रुपये खर्च होते हैं. शराब लेकर चलनेवाले बाइक सवारों को स्कॉट भी किया जाता है. जानकार लोगों ने बताया कि सिर्फ डकरा-खलारी में हर महीने पांच लाख रुपये का शराब खपाया जा रहा है. जबकि डकरा के लाइसेंसी दुकान से प्रतिदिन मात्र दो लाख रुपये का ही अंग्रेजी शराब बिकता है. इस अवैध कारोबार से एक तरफ जहां सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ हो रहा है.काम करता है मोबाइल फैक्ट्री :
नकली शराब बनाने और पैकेजिंग की मशीन को इस तरह से तैयार किया गया है कि कुछ घंटे में उसे एक जगह से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा सके. सूत्र के अनुसार सप्लायर और विक्रेता को भी यह पता नहीं रहता कि जिस शराब की डिलीवरी करने जा रहा है या बेच रहा है, उसे कहां तैयार किया गया है.23 डकरा 05 शुक्रवार को प्रभात खबर में छपी खबर.B
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