पर्यावरणीय स्थिरता व हरित ऊर्जा पर हुई चर्चा:::: हेडिंग : तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार रांची. रांची विवि के भूगोल विभाग व राष्ट्रीय भूगोलवेत्ता संघ के सहयोग से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन सतत भविष्य की पृथ्वी : संसाधन उपयोग और प्रबंधन में उभरते मुद्दे और चुनौतियों विषय पर 22 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया. जिसमें पर्यावरणीय स्थिरता, हरित ऊर्जा, जलवायु अनुकूलन, आपदा लचीलापन, भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी, संसाधन उपयोग, सामाजिक-आर्थिक विकास, सामुदायिक सशक्तीकरण, सतत कृषि और स्वदेशी ज्ञान जैसे विषयों पर चर्चा की गयी. बीआइटी मेसरा की डॉ नीलांचल पटेल ने भू-सूचना विज्ञान के माध्यम से भूस्खलन जोखिम आकलन और क्षेत्रीकरण पर व्याख्यान दिया, जिसमें पूर्वी सिक्किम में भूस्खलन के कारणों और जोखिम मानचित्रण में भू-सूचना विज्ञान के अनुप्रयोग पर प्रकाश डाला. राजीव गांधी विवि, इटानगर की प्रो नंदिनी सी सिंह ने नीति से व्यवहार तक : भारत के उत्तर-पूर्व में समावेशी जैव विविधता, सामुदायिक अधिकार और सतत विकास के माध्यम से संरक्षण की पुनर्कल्पना विषय पर अपने विचार रखे. जिसमें संरक्षण के लिए सहभागी दृष्टिकोण पर बल दिया. इसके अलावा श्री जयवर्धनेपुरा विवि श्रीलंका के प्रो बीए सुमनजीथ कुमारा, आंध्र प्रदेश विवि विशाखापत्तनम के भूगोल विभाग की प्रो अनुजा तिग्गा ने भी अपने-अपने विचार रखे. इसमें मुख्य रूप से सतत संसाधन प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण, आपदा न्यूनीकरण और समावेशी विकास रणनीतियों पर सुझाव दिये. अलीगढ़ मुस्लिम विवि के भूगोल विभाग के अध्यक्ष व संघ के अध्यक्ष प्रो सलाउद्दीन कुरैशी ने सत्र की अध्यक्षता की. संचालन प्रो ओपी महतो ने व रिपोर्टियर दिल्ली विवि के प्रो प्रबोध मिश्रा ने किया.इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ जीतेंद्र शुक्ला, डॉ ज्ञान सिंह सहित कई शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित थे. तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का गुरुवार को समापन होगा.
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