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वेलफेयर बिल्डकॉन कंपनी का कारनामा, सीबीआइ के 55 गवाह 17.69 अरब का खोलेंगे राज
रांची : वेलफेयर बिल्डकॉन एंड एस्टेट कंपनी ने झारखंड-बिहार के अलावा अन्य राज्यों से जमीन के नाम पर हजारों लोगों से करीब 17.69 अरब रुपये निवेश कराये हैं. जबकि इस कंपनी को सेबी व आरबीआइ से नन बैंकिंग के लिए अनुमति नहीं मिली थी. इसके बावजूद नियमों के खिलाफ यह कंपनी कई जगहों पर अपना […]
रांची : वेलफेयर बिल्डकॉन एंड एस्टेट कंपनी ने झारखंड-बिहार के अलावा अन्य राज्यों से जमीन के नाम पर हजारों लोगों से करीब 17.69 अरब रुपये निवेश कराये हैं.
जबकि इस कंपनी को सेबी व आरबीआइ से नन बैंकिंग के लिए अनुमति नहीं मिली थी. इसके बावजूद नियमों के खिलाफ यह कंपनी कई जगहों पर अपना धंधा चला रही है. हालांकि कई जगहों पर इसके कार्यालय को सील किया गया है. लेकिन अब भी गुमला और बेड़ो सहित अन्य स्थानों पर कंपनी के दफ्तर चल रहे हैं. यह स्थिति तब है जब कंपनी के खिलाफ सीबीआइ चार्जशीट कर चुकी है. सीबीआइ ने कंपनी के खिलाफ 55 गवाह खड़े किये हैं, जो कंपनी के कारनामों को उजागर करेंगे. इन गवाहों में आरबीआइ, सेबी, बैंकों के अफसर, सीए, पुलिस अफसर और सीबीआइ के अधिकारी शामिल हैं.
चार्जशीट में सीबीआइ ने कहा है कि विभिन्न राज्यों में स्थित कंपनी के दफ्तरों में जुटाये गये पैसे को पहले रिश्तेदार व अन्य के नाम पर ट्रांसफर किये गये. फिर उनके एकाउंट से अपने पर्सनल एकाउंट में वापस लिये गये. ये पैसे गरीब भोले-भाले लोगों के हैं. दूसरी ओर सीबीआइ की चार्जशीट के बाद भी राज्य की अन्य जवाबदेह एजेंसियां उक्त कंपनी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही हैं.
चाईबासा में एक भी आदमी को नहीं दी जमीन : हाइकोर्ट के आदेश पर जांच के बाद चार्जशीट में सीबीआइ ने कहा है कि कंपनी ने चाईबासा में भी जितने लोगों से पैसे निवेश कराये थे उसमें से किसी को भी जमीन नहीं दी गयी. वहां से 8.85 करोड़ की वसूली कंपनी ने की थी. नकद के तौर पर 6.39 करोड़ वापस किये, लेकिन 2.39 करोड़ रुपये लोगों को नहीं दिये गये.
निवेश के मुताबिक कंपनी के पास जमीन ही नहीं : सीबीआइ ने कहा है कि आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले के गोटुरू गांव में जमीन दिलाने के नाम पर झारखंड-बिहार सहित कई राज्यों में हजारों लोगों से 17.69 अरब से ज्यादा रुपये का निवेश कंपनी ने कराया.
कंपनी ने लोगों से कहा था कि 100 रुपये वर्ग गज पर कंपनी प्लॉट देगी. कंपनी द्वारा वसूले गये पैसे के एवज में 17.69 करोड़ वर्ग गज जमीन चाहिए थी. लेकिन कंपनी ने 271.30 एकड़ (10.51 लाख वर्ग गज) जमीन ही खरीदी थी. यानी जितने ग्राहक थे उतनी जमीन कंपनी के पास थी ही नहीं.
इन राज्यों में कंपनी का धंधा : आंध्र प्रदेश, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, अंडमान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में कंपनी के दफ्तर हैं.
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