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रांची : सीएए के खिलाफ नया जन आंदोलन खड़ा करेंगे

रांची : सीएए, एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ कडरू हज हाउस के समीप चल रहा धरना रविवार को भी जारी रहा. रविवार होने के कारण काफी संख्या में रांची के अलावा पिस्का नगड़ी, कुडू, लोहरदगा, सिसई, इटकी, कांके ,भीठा,चान्हों, रातू, पंडरा सहित आस पास के कई गांवों से महिलाएं शामिल होने के लिए आयी थीं. वे […]

रांची : सीएए, एनआरसी, एनपीआर के खिलाफ कडरू हज हाउस के समीप चल रहा धरना रविवार को भी जारी रहा. रविवार होने के कारण काफी संख्या में रांची के अलावा पिस्का नगड़ी, कुडू, लोहरदगा, सिसई, इटकी, कांके ,भीठा,चान्हों, रातू, पंडरा सहित आस पास के कई गांवों से महिलाएं शामिल होने के लिए आयी थीं. वे माथे पर रिजेक्ट सीएए, नो एनआरसी, नो एनपीआर का पट्टा बांधे हुए और हाथ में तिरंगा लिए पहुंची थीं. यहां उनका स्वागत किया गया.
जन गण मन के साथ धरना की शुरुआत हुई. महिलाअों ने कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो वे लोग दिल्ली मार्च भी करेंगी अौर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास को भी घेरेंगी. अमित कुमार ने कहा कि अगर सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेगी तो हम नौजवान आदिवासी, एस-एसटी, अोबीसी मिलकर पूरे झारखंड में सीएए के खिलाफ नया जन आंदोलन खड़ा करेंगे. तसनीम रुबा और साजिया ने कहा कि तुम किस बात की हमसे नागरिकता का सबूत मांगते हो.
हमारे देश की नागरिकता का सबूत तो यह है कि प्रधानमंत्री ने पिछले 70 सालों से लालकिला पर तिरंगा फहराते आ रहे हैं. क्या यह लालकिला नागरिकता का सबूत नहीं है? लोहरदगा की रेशमा खातून ने कहा कि अब तो केंद्र सरकार को समझ जाना चाहिए कि दिल्ली की जनता ने भी मोदी सरकार के तानाशाही रवैये को नकार दिया है. मुंबई कॉलेज की छात्रा वर्षा ने कहा कि यह धरना अपनी कामयाबी की राह पर चल रहा है. पल्लवी ने कहा कि यह लड़ाई धर्म अधर्म के बीच की लड़ाई है. वहीं झारखंड उलगुलान से जुड़े रोजर नाइट और मुन्ना बड़ाइक ने भी महिलाओं के आंदोलन को अपना समर्थन दिया. धरना में कई लोगों ने अपनी बातें रखी.

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