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रांची : रिम्स में हुई राज्य की पहली बाइपास सर्जरी

ऑपरेशन के दौरान मरीज के शरीर से बाहर ऑक्टोपस पर हार्ट को रखा गया रांची : रिम्स में शुक्रवार को पहली बार काॅर्नरी आर्टरी बाइपास (सीएबीजी) की सफल सर्जरी की गयी. रिम्स के कार्डियो थोरेसिक एंड वास्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के कार्डियेक सर्जन की टीम ने जामताड़ा निवासी 60 वर्षीय घनश्याम भंडारी का ऑपरेशन किया. […]

ऑपरेशन के दौरान मरीज के शरीर से बाहर ऑक्टोपस पर हार्ट को रखा गया
रांची : रिम्स में शुक्रवार को पहली बार काॅर्नरी आर्टरी बाइपास (सीएबीजी) की सफल सर्जरी की गयी. रिम्स के कार्डियो थोरेसिक एंड वास्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के कार्डियेक सर्जन की टीम ने जामताड़ा निवासी 60 वर्षीय घनश्याम भंडारी का ऑपरेशन किया.
राज्य के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बाइपास सर्जरी की गयी है. सीटीवीएस के विभागाध्यक्ष डॉ अंशुल कुमार व डाॅ राकेश चौधरी की टीम द्वारा हार्ट बीटिंग के तहत यह ऑपरेशन किया गया. मरीज के पैर से नस निकाल कर हार्ट की आर्टरी में लगायी गयी. ऑपरेशन के बाद मरीज को सीटीवीएस आइसीयू में भर्ती किया गया है. मरीज की स्थिति ठीक है, लेकिन रात में डॉक्टरों ने मरीज पर ध्यान रखने के लिए ड्यूटी रोस्टर तैयार की है.
डॉ अंशुल व डॉ राकेश ने बताया कि मरीज को अक्सर हार्ट में दर्द की समस्या थी. मरीज कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ प्रशांत कुमार की अोपीडी में गया, वहां से उसे सीटीवीएस भेजा गया. जांच में मरीज का लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी (एलइडी) काफी दबा पाया गया. मरीज को स्टेंट लगाना आसान नहीं था, बाइपास ही एकमात्र उपाय था.
मरीज आयुष्मान भारत योजना का लाभुक था, इसलिए उसका ऑपरेशन नि:शुल्क किया गया. निजी अस्पताल में बाइपास सर्जरी के लिए मरीजों को 3.50 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. ऑपरेशन में एनेस्थिसिया विभाग से डॉ शिव, डॉ मुकेश, डॉ नितिन, डॉ फैजुल व डॉ हर्ष आदि शामिल थे.
क्या है हार्ट बीटिंग बाइपास सर्जरी
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अंशुल कुमार ने बताया कि हार्ट बीटिंग ऑपरेशन काफी कम किया जाता है. एम्स जैसे बड़े संस्थान में भी अधिकांश ऑपरेशन हार्ट रोक कर किये जाते हैं. रिम्स में पहली बार बाइपास सर्जरी हार्ट बीटिंग के तहत की गयी है. हार्ट बीटिंग में ऑक्टोपस पर मरीज के हार्ट को रख दिया जाता है, जो धड़कता रहता है. इस बीच डाॅक्टर ऑपरेशन करते रहते हैं. ऑपरेशन खत्म होते ही ऑक्टोपस का सपोर्ट हटा कर मरीज के शरीर से हार्ट को जोड़ दिया जाता है. इससे हार्ट अपने आप काम करने लगता है.
कार्डियेक सर्जन की टीम ने जामताड़ा निवासी 60 वर्ष के घनश्याम भंडारी का किया ऑपरेशन
पैर से नस निकाल कर आर्टरी में लगायी गयी, फिर हार्ट को शरीर में फिट किया
ऑपरेशन के बाद मरीज को सीटीवीएस आइसीयू में रखा गया, स्थिति खतरे से बाहर
रिम्स ही नहीं, राज्य के किसी सरकारी अस्पताल में यह पहली बाइपास सर्जरी है. हम सुपरस्पेशियलिटी विंग में बेहतर काम कर देश के पटल पर अपनी पहचान बना सकते हैं, इसलिए इसी पर जोर दिया जा रहा है.
डाॅ दिनेश कुमार सिंह, निदेशक रिम्स

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