21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पकड़ी बरवाडीह कोल माइंस में मानकों की अनदेखी

रांची : पकड़ी बरवाडीह कोल माइंस में फॉरेस्ट क्लीयरेंस के निर्धारित मानकों का आधे-अधूरे ढंग से पालन किया जा रहा है. कई मानकों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है और कोयला का उत्खनन हो रहा है. यह कोल माइंस एनटीपीसी द्वारा संचालित है. इससे संबंधित एक रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को भेजी […]

रांची : पकड़ी बरवाडीह कोल माइंस में फॉरेस्ट क्लीयरेंस के निर्धारित मानकों का आधे-अधूरे ढंग से पालन किया जा रहा है. कई मानकों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है और कोयला का उत्खनन हो रहा है. यह कोल माइंस एनटीपीसी द्वारा संचालित है. इससे संबंधित एक रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को भेजी गयी है.

गौरतलब है कि सोसाइटी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में एनजीटी ने एक समिति बनाकर एनटीपीसी के पकड़ी बरवाडीह के कोल माइंस के फॉरेस्ट क्लीयरेंस की जांच करायी थी. जांच के बाद समिति ने कई मामलों में वन विभाग के नियमों का उल्लंघन पाते हुए कंपनी को उसका पालन करने का निर्देश दिया है.

समिति में स्टेट इनवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) के मेंबर सेक्रेटरी कमलेश पांडेय, साइंटिस्ट राजीव रंजन, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सदस्य सचिव राजीव लोचन बक्शी व हजारीबाग के सीएफ अशोक कुमार सिंह शामिल थे. समिति ने यह रिपोर्ट 15 मार्च को पकड़ी बरवाडीह जाकर जांच कर तैयार की है.
  • कमेटी ने एनजीटी को भेज दी रिपोर्ट
  • कई मानकों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है
  • कोयला का उत्खनन किया जाना बदस्तूर जारी है
समिति ने जो त्रुटियां पायीं
खनन करनेवाली कंपनी एनटीपीसी ने उतना पौधरोपण नहीं किया है, जितने क्षेत्र में कंपनी खनन का काम कर रही है, इसलिए समिति ने कंपनी से कहा है कि जल्द से जल्द कंपनी सभी खाली जगहों का पता लगाकर वहां पौधरोपण कराये. लीज एरिया या बाहर के क्षेत्र में जहां भी रोड के किनारे खाली जमीन है, वहां पौधरोपण किया जाये.
  • बिना चेक डैम बने, एनटीपीसी ने कंस्ट्रक्शन के लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिया.
  • खनन के दौरान ओबी (ओवर बर्डन) को कहां रखा जाना है, इस बारे में कंपनी ने किसी तरह की कोई रिपोर्ट अभी तक नहीं सौंपी है.
  • खनन इलाके में पुराने पेड़ सूख रहे हैं. जिस तरह से मिट्टी का कटाव हो रहा है, उसके लिए उतना बीजारोपण नहीं हुआ जितने की जरूरत है.
  • खनन के बाद कोयले को 20 मीटर चौड़े कन्वेनर बेल्ट से खनन इलाके से ट्रांसपोर्टेशन साइडिंग तक ले जाया जाना था, पर कोयले की ढुलाई ट्रक से की जा रही है.
  • सुरक्षित जोन की पहचान अभी तक नहीं की गयी है. जमीन पर कहीं भी ऐसे जोन दिखायी नहीं दिये.
कंपनी की तरफ से विस्थापितों की कोई ऐसी सूची नहीं दी गयी, जिससे पता चले कि कितने विस्थापितों को अभी तक कंपनी ने बसाया है. वहीं जांच समिति ने पाया है कि कंपनी की तरफ से विस्थापितों के लिए आवास, अस्पताल और स्कूल बनाये गये हैं. लेकिन किसी भी आवास में विस्थापित रह नहीं रहे हैं. सभी खाली हैं.
करार के मुताबिक कंपनी द्वारा पकवा नाला और दुमहानी नाला के आस-पास ग्रीन बेल्ट का निर्माण किया जाना था. लेकिन जांच में पाया गया है कि कंपनी ने दोनों नदियों के किनारे ग्रीन बेल्ट का निर्माण नहीं किया है. इतना ही नहीं, खोरा नाला के पास कंपनी डंपिंग का काम कर रही है जिससे नदी में ओबी भी प्रवाहित हो रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें