रांची : स्वास्थ्य विभाग से संबद्ध अौषधि निदेशालय के तहत राज्य भर में 30 ड्रग इंस्पेक्टर कार्यरत हैं. इन सबको हर माह पांच-पांच दवाअों के सैंपल जांच के लिए लाना है. यानी हर महीने 150 ड्रग सैंपल जांच के लिए ड्रग टेस्ट लैब में आने हैं.
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रांची : हर महीने लाना है 150 सैंपल, पर जांच 50 की ही
रांची : स्वास्थ्य विभाग से संबद्ध अौषधि निदेशालय के तहत राज्य भर में 30 ड्रग इंस्पेक्टर कार्यरत हैं. इन सबको हर माह पांच-पांच दवाअों के सैंपल जांच के लिए लाना है. यानी हर महीने 150 ड्रग सैंपल जांच के लिए ड्रग टेस्ट लैब में आने हैं. इधर, आरसीएच परिसर स्थित ड्रग टेस्ट लैब की क्षमता […]
इधर, आरसीएच परिसर स्थित ड्रग टेस्ट लैब की क्षमता प्रति माह सिर्फ 40-50 सैंपल की जांच करने की ही है, जो राज्य की कुल दवाओं का चार फीसदी भी नहीं है. यानी झारखंड में बिक रही या इस्तेमाल हो रही 96 फीसदी दवाओं की सैंपल जांच नहीं हो रही है. गौरतलब है कि राज्य में दवाओं का सालाना कारोबार करीब 1200 करोड़ रुपये का है.
इस तरह अपना लैब सुदृढ़ नहीं रहने से पैसे व समय दोनों की बर्बादी हो रही है. दूसरी ओर मरीजों को सुरक्षित दवाएं मिलने में संदेह बना रहता है. गौरतलब है कि अौषधि जांच प्रयोगशाला, आरसीएच परिसर नामकुम में मानव संसाधन सहित उपकरणों की भारी कमी है.
कुछ खास उपकरण नहीं रहने के कारण ही इंजेक्शन व अन्य तरल (लिक्विड) दवाअों की यहां जांच नहीं हो सकती. इसलिए ऐसे सैंपल को बाहर भेजना पड़ता है. औषधि निदेशालय के सूत्रों के अनुसार हर वर्ष करीब तीन-चार हजार ड्रग सैंपल बाहर भेजे जाते हैं. एक ड्रग सैंपल की जांच पर औसतन डेढ़ हजार रुपये का खर्च आता है. वहीं, दवाओं की जांच में भी लंबा समय लगता है.
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