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रांची : सीमित संसाधनों में भी कर सकते हैं शोध कार्य, जज्बा बनाये रखें
विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस पर रिम्स में सेमिनार आयोजित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ वी भट्टाचार्य ने किया संबोधित रांची : बीएचयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ वी भट्टाचार्य ने कहा कि मेडिकल साइंस में लगातार शोध होता है, जिससे नयी-नयी तकनीकों का इजाद होता है. इससे मरीजों को […]
विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस पर रिम्स में सेमिनार आयोजित
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ वी भट्टाचार्य ने किया संबोधित
रांची : बीएचयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ वी भट्टाचार्य ने कहा कि मेडिकल साइंस में लगातार शोध होता है, जिससे नयी-नयी तकनीकों का इजाद होता है.
इससे मरीजों को लाभ होता है. शोध कार्य के लिए हमेशा डॉक्टर व मेडिकल स्टूडेंट साधन का रोना रोते हैं, लेकिन सीमित संसाधन में भी शोध कार्य किये जा सकते हैं. वे सोमवार को विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस पर ट्रॉमा सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे.
डॉ भट्टाचार्य ने बताया कि जब वह धमनी में होनेवाली खून की सप्लाई व प्रेशर मैनेजमेंट पर शोध कार्य कर रहे थे तो उस समय बहुत कुछ नहीं था, लेकिन शोध का परिणाम बहुत बेहतर निकला. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि रिम्स में भी शोध कार्य करने की इच्छा डॉक्टर व मेडिकल स्टूडेंट में होनी चाहिए, लेकिन कोई समय नहीं देता है. वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ अजय सिंह ने प्लास्टिक सर्जरी में हो रहे बदलाव की जानकारी दी. देवकमल अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डॉ अनंत सिन्हा ने अपने अस्पताल में सीमित संसाधन में किये जा रहे बेहतर कार्य की जानकारी दी.
एसिड बर्न के मरीज व कटे होठ व तालू के लिए कार्य की विस्तृत जानकारी दी. साथ ही अन्य पहलुओं पर प्रकाश डाला. मौके पर प्लास्टिक सर्जन डॉ राज पाठक सहित रिम्स के सर्जरी, पीडियेट्रिक सर्जरी, सीटीवीएस विभाग के अलावा रिम्स के डॉक्टर शामिल हुए.
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