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रांची : अधिवक्ताओं को टीन का शेड ही पसंद है

नये बार भवन में दी गयी है जगह, इसके बाद भी पुरानी जगह का नहीं छूट रहा है मोह रांची : कचहरी स्थित पुराने बार भवन में टीन के शेड के नीचे बड़ी संख्या में टेबल, कुर्सी अौर बेंच की कतारें लगी रहती हैं. इस जगह पर तकरीबन 600 अधिवक्ता बैठते हैं. साथ ही छोटी-छोटी […]

नये बार भवन में दी गयी है जगह, इसके बाद भी पुरानी जगह का नहीं छूट रहा है मोह
रांची : कचहरी स्थित पुराने बार भवन में टीन के शेड के नीचे बड़ी संख्या में टेबल, कुर्सी अौर बेंच की कतारें लगी रहती हैं. इस जगह पर तकरीबन 600 अधिवक्ता बैठते हैं.
साथ ही छोटी-छोटी गुमटियों में नोटरी पब्लिक, स्टांप वेंडर अौर टाइप करनेवाले भी बैठते हैं. इस शेड के नीचे कई ऐसे अधिवक्ता भी बैठते हैं, जिन्हें नये बार भवन में जगह आवंटित कर दी गयी है. इसके बावजूद इनका ज्यादातर समय पुराने बार भवन में ही गुजरता है. वो भी तब जब बरसात के दिनाें में टीन के शेड से पानी टपकता है अौर गर्मी में यहां बैठे अधिवक्ताओं के माथे से पसीना बहता रहता है. लगभग एक दर्जन से अधिक अधिवक्ता ऐसे हैं जो नये बार भवन में सीट मिलने के बावजूद पुराने बार भवन को छोड़ना नहीं चाहते हैं. हां कभी कभार वे नये बार भवन में भी दिख जाते हैं.
प्रभात खबर ने कुछ ऐसे ही अधिवक्ताअों से बात की जो नये बार भवन में बैठ रहे हैं. लेकिन उनका भी कहना है कि पहले वाली जगह ही ठीक थी. भले ही पानी गिरता था या गर्मी पड़ती थी, पर काम तो वहीं से बेहतर होता था.ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि इन अधिवक्ताओं को भवन छोड़ टीन का शेड ही पसंद है.
1993 से प्रैक्टिस कर रहे हैं : जिला बार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष अमर कुमार भी उन अधिवक्ताअों में हैं, जिन्हें नये बार भवन में जगह मिली है, पर वे पुराने बार भवन में ही बैठते हैं. श्री कुमार ने कहा कि वे 1993 से प्रैक्टिस कर रहे हैं. और तब से पुराने बार भवन में बैठ रहे हैं. प्रैक्टिस भी यहीं अच्छी चल रही है. ज्यादातर क्लाइंट उनके इसी जगह को जानते हैं, इसलिए वे यहां बैठते हैं.
कई अधिवक्ता सीट की तलाश में : वर्ष 2014 तक सिविल कोर्ट परिसर के मुख्य भवन स्थित गलियारे अौर कोर्ट परिसर में आम अौर यूकेलिप्टस के पेड़ के नीचे टेबल अौर बेंच लगी हुई थी, जहां अधिवक्ता बैठते थे. 29 सितंबर 2014 को नया बार भवन बना. जी प्लस फोर इस भवन में 2000 से अधिक अधिवक्ता बैठते हैं. यह जगह पूरी तरह भर चुकी है अौर अब भवन के साथ लगे गलियारे अौर उसके पीछे शेड में भी अधिवक्ता बैठने लगे हैं. अभी भी कई अधिवक्ता हैं, जो अपने लिए जगह की तलाश में हैं.
कुछ अधिवक्ता नये बार भवन में अौर कुछ पुराने बार भवन दोनों जगहों पर बैठते हैं. वर्षों से पुराने बार भवन में उनका काम जमा-जमाया है.
कुंदन प्रकाशन, महासचिव, जिला बार एसोसिएशन
यह सही है कि कई अधिवक्ता नये बार भव़न में जगह मिलने के बाद भी पुराने में प्रैक्टिस करते हैं. लेकिन यहां होनेवाली आवाज इतनी गूंजती है कि काफी परेशानी होने लगी है.
अधिवक्ता, निलेश.
पुराने भवन में निबटा रहे हैं काम
वयोवृद्ध अधिवक्ता लखन लाल साह 1966 से वकालत कर रहे हैं. उन्हें भी नये बार भवन में जगह मिली है. पर वे पुराने बार भवन में ही बैठते हैं. इसी जगह पर वे अपने क्लाइंट से मिलते हैं अौर मुकदमे से संबंधित चर्चा करते हैं.
वे बताते हैं कि 1966 में खपरैल वाला पुराना बार भवन था. उस दौरान मुश्किल से 200 अधिवक्ता यहां होते थे, जिन्हें आसानी से बैठने की जगह मिल जाती थी. बाद में बरगद के पेड़ के नीचे टीन का शेड बना, जहां अधिवक्ता बैठने लगे. अब यहां भी अधिवक्ताअों की संख्या काफी बढ़ गयी है. अधिवक्ताअों की इस सूची में तकरीबन दर्जन भर नाम अौर हैं, जो नये बार भवन में जगह मिलने के बाद भी पुराने बार भवन में ही अपना काम निबटा रहे हैं.
नये बार भवन में गूंजने वाली आवाज करती है परेशान
अधिवक्ता मनोज झा का कहना है कि वे 1992 से सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैंं. पहले पीपल के पेड़ के नीचे बैठते थे. टेबल बेंच लगी होती थी. अब वह जगह छूट गयी है. साथ ही कमाई भी आधी रह गयी है. कोई भी अधिवक्ता जब एक स्थान छोड़कर नये स्थान पर बैठता है तो उसके क्लाइंट इधर-उधर हो जाते हैं. और तो और नये बार भवन में गूंजने वाली आवाज से लग रहा है कि बहरा होता जा रहा हूं.

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