प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत झारखंड में नहीं लग पायी है एक भी यूनिट
रांची : झारखंड में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत झारखंड में एक भी यूनिट नहीं लग पायी है़ इसके तहत मेगा फूड पार्क, कोल्ड चेन, वैल्यू एडिशन स्ट्रक्चर, एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर सहित कई योजनाएं शामिल हैं. झारखंड में इस योजना के तहत निवेश के लिए एक भी प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास नहीं पहुंचा है़ राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार के एक सवाल पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने सदन को यह जानकारी दी़
झारखंड के लिए कोई परियोजना अनुमोदित नहीं : केंद्रीय मंत्री ने बताया कि झारखंड से प्रस्ताव प्राप्त नहीं हाेने के कारण आज की तारीख तक कोई परियोजना अनुमोदित नहीं की गयी है़ सदन को बताया गया कि केंद्र सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने छह हजार करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना शुरू की है़ इसके तहत असम में दो, छत्तीसगढ़ में दो, गुजरात में दस, हरियाणा में 12, हिमाचल प्रदेश में नौ, जम्मू एवं कश्मीर में 12 सहित कई राज्यों में खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित यूनिट स्थापित की गयी है.
झारखंड के साथ बिहार भी इस योजना का लाभ नहीं ले सका है़ केंद्रीय मंत्री ने सदन को बताया कि इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत का 35 प्रतिशत और पूर्वोत्तर राज्यों व द्वीप समूहों में 50 प्रतिशत की दर से अधिकतम 5 करोड़ रुपये का अनुदान दिये जाने का प्रावधान है़
इच्छुक उद्यमियों से ऑनलाइन प्रस्ताव आमंत्रित : खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने देश में खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों की स्थापना के लिए इच्छुक उद्यमियों और निवेशकों से ऑनलाइन प्रस्ताव आमंत्रित किया है़ 30 जून तक निवेशक ऑनलाइन प्रस्ताव भेज सकते हैं. इधर सांसद श्री पोद्दार ने कहा है कि पीएम किसान संपदा योजना के तहत झारखंड में एक भी यूनिट का नहीं लगना निराशाजनक है़ झारखंड में 2013-14 में कृषि क्षेत्र में विकास दर निगेटिव (- 4.5 प्रतिशत) थी.
विगत पांच वर्षों में यह बढ़कर 14.5 प्रतिशत के करीब हो गयी. बिना पर्याप्त सिंचाई सुविधा के राज्य के किसानों ने कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है़ अब भारत और राज्य सरकार का दायित्व बनता है कि वह किसानों को संरक्षण दे़ उन्होंने कहा कि झारखंड से मटर, गोभी, टमाटर जैसी सब्जियां देश के अन्य हिस्से में बड़े पैमाने पर भेजी जाती है़ं
कृषि उत्पादों को सुरक्षित रखने की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को अपनी उपज औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ती है़ कई बार तो इन्हें बाज़ार में लागत मूल्य से भी कम मिलता है़ प्रधानमंत्री भी किसानों की आय दोगुना करना चाहते हैं. यह तभी संभव है, जब हम उन्हें उनकी फसल का वाजिब, बल्कि ज्यादा से ज्यादा कीमत दिला सके़ं