रांची : राज्यसभा चुनाव को लेकर जगन्नाथपुर थाने में दर्ज केस में पुलिस ने आरंभिक जांच पूरी कर ली है. मामले में सिटी एसपी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि प्राथमिकी में संलग्न प्रतिलिपि में सीडीआर नहीं है.
केस के अनुसंधानक अनूप कर्मकार ने घटना के समय का सीडीआर प्राप्त करने का काफी प्रयास किया, लेकिन संबंधित मोबाइल कंपनी के नोडल ऑफिसर द्वारा लिखित में यह बताया गया कि घटना के समय का सीडीआर उनके पास नहीं है. क्योंकि, लाइसेंस की शर्त के अनुसार उनके सर्वर में एक साल तक ही सीडीआर रहता है.
सिटी एसपी ने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा है कि केस के गवाह मंटू सोनी का बयान अनुसंधानक ने लिया है, जिसमें उसने बताया है कि उसने कभी भी केस में बनाये गये आरोपियों से बात नहीं की है. वह उनको नहीं जानता है़ रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि अनुसंधानक ने कई बार रिकॉर्डिंग से संबंधित मूल यंत्र जमा करने के लिए योगेंद्र साव को नोटिस भेजा, लेकिन उनके द्वारा मूल यंत्र अभी तक जमा नहीं किया गया, जबकि प्रतिलिपि में दर्शाया गया है कि एक आरोपी और मंटू सोनी के बीच वार्तालाप हुई है.
वहीं मंटू सोनी ने अपने बयान में इस बात की पुष्टि नहीं की है. ऐसी परिस्थिति में सिर्फ प्रतिलिपि के आधार केस को सत्य नहीं साबित किया जा सकता है. सिटी एसपी ने केस के अनुसंधानक को अागे योगेंद्र साव का बयान लेने, रिकॉर्डिंग से संबंधित मूल यंत्र को हासिल कर एफएसएल से जांच कराने और केस में बेड़ो डीएसपी द्वारा तैयार सुपरविजन रिपोर्ट के निर्देश का अनुपालन करने का निर्देश दिया है.
उल्लेखनीय है कि मामले में प्राथमिकी जगन्नाथपुर थाना में 29 मार्च 2018 को दर्ज की गयी थी. केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने सीडीआर और बयान लेने की कार्रवाई शुरू कर दी थी. मामले में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और निर्मला देवी का भी बयान लिया गया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि केस में रिकॉर्डिंग से संबंधित मूल यंत्र योगेंद्र साव के पास है.
केस की सुपरविजन रिपोर्ट में बेड़ो डीएसपी ने लिखा था कि प्राथमिकी का मूल आधार ऑडियो सीडी है. जिसमें कहीं भी आरोपियों द्वारा योगेंद्र साव को किसी पार्टी या सरकार के पक्ष में मतदान करने की बात नहीं है. पैसे के लेने-देने से संबंधित भी कोई बात नहीं है. इसके अलावा केस में आये अन्य तथ्य और साक्ष्य के आधार पर केस को सही करार देने पर बेड़ो डीएसपी ने भी नहीं निर्णय लिया था. पूर्व में रिकॉर्डिंग से संबंधित सीडी को गुजरात एफएसएल के पास जांच के लिए भेजा जा चुका है.