रांची/मुरी : मुरी स्थित हिंडाल्को प्लांट के समीप स्थित रेड मड पौंड (कास्टिक तालाब) अचानक घंस जाने से करीब एक किलोतीटर तक रेड मड फैल गया, जिससे आसपास के इलाके में अफरा तफरी का माहौल बन गया. मौके पर काम में लगे कई बड़े वाहन मलबे में दब गये. वहीं कई घरों तक मलबे का ढेर पहुंच गया. खबर लिखे जाने तक एक की मौत की पुष्टि हुई है.
स्थानीय लोगों व प्रत्यक्षदर्शियों ने कई लोगों के दबे होने की आशंका जतायी है. राज्य सरकार ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो दिन के करीब 1.20 बजे कास्टिक तालाब में एक बड़ा विस्फोट हुआ. ऐसा लगा मानो ज्वालामुखी फटा हो. दूर-दूर तक धूल कण फैलने लगे. इधर मलबा गार्डवाल को तोड़ते हुए तेजी से आगे बढ़ने लगा. लगभग एक किलोमीटर तक मलबा फैल गया.
इसके बाद आसपास के घरों तक मलबा फैलने लगा. बताया जा रहा है कुछ मजदूर वहां गार्डवाल बनाने का काम कर रहे थे. लोग घरों को छोड़कर दूर भागने लगे. पौंड के समीप ही रांची-मुरी और मुरी-चांडिल रेललाइन है. मलबे का एक बड़ा ढेर मुरी-चांडिल लाइन पर गिर गया है. इसके कारण इस रूट से ट्रेन सेवा कई घंटों तक बाधित रही. कई लोगों के खेतों में मलबा भर गया और फसल बर्बाद हो गयी. वहीं मलबे के ढेर के बीच ही छह हाइवा व दो पेलोडर पलटे हुए थे.
क्या है हिंडाल्को का रेड मड पोंड
हिंडाल्को का रेड मड पोंड हिंडाल्को कारखाने में बाक्साइड से अलुमिनियम के उत्पादन के दौरान निकले हुए कास्टिक मिश्रित मिट्टी है. इसमें रसायन व पानी मिश्रित होता है. इसका रंग लाल होता है. इसलिए जहां इसे जमा किया जाता है इसे रेड मड पोंड यानी लाल कीचड़ का तालाब कहा जाता है. हानिकारक होने के कारण इसको रिहायशी इलाके से दूर जमा किया जाता है. रेड मड इलाके में जगह जगह इसके खतरनाक होने व इससे दूर रहने के लिये बोर्ड लगाये गये थे.
यहां काम करने वालों को सावधानी से काम करना पड़ता है. इलाके में यह कास्टिक तालाब के नाम से प्रसिद्ध है. इस रेड मड को जमा करते-करते यह पहाड़ की शक्ल ले चुका था. हिंडाल्को प्रबंधन इस रेड मड को खाली करने के लिए काफी समय से प्रयासरत है लेकिन सफलता नहीं मिली. करोड़ों रुपये की लागत से पत्थर की दीवार बनायी गयी थी लेकिन दीवारों पर अधिकतर दबाव के कारण तालाब टूट गया.
मुख्य सचिव डॉ डीके तिवारी ने जांच के आदेश दिये है और एनडीआरएफ की टीम के साथ रांची से जिला प्रशासन के बड़े अधिकारियों को भी मौके पर भेजा है. सूचना पाकर रांची के उपायुक्त राय महिमापत रे और एसडीओ गरिमा सिंह समेत स्थानीय पदाधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे. उपायुक्त ने बताया कि राहत व बचाव के लिए टीम पहुंच गयी है.
घटनास्थल पर अंधेरा होने के कारण बचाव राहत कार्य सुबह से शुरू किया जायेगा. पूरी टीम को अलर्ट कर दिया गया है. उपायुक्त ने बताया कि अभीतक किसी के मरने की खबर नहीं है. मलबा हटने के बाद ही पता चल सकेगा कि कितने लोग मरे हैं.
150 से 200 लोग दबकर मरे हैं : अमित महतो
पूर्व विधायक व झामुमो के नेता अमित महतो ने कहा कि कास्टिक तालाब में 150 से 200 मजदूर हर दिन काम करते हैं. यहां का काम एस सुदर्शन नामक कंपनी को मिला हुआ है. उसके मजदूर ही यहां मलबा लाते हैं. किसी मजदूर का कोई अता-पता नहीं है. यानी 150 से 200 मजदूर मरे होंगे. जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी.
उन्होंने कहा कि हिंडालको के खिलाफ 20 दिसंबर 2018 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ हर्षवर्धन से मुलाकात कर शिकायत की गयी थी. अगर कार्रवाई की गयी होती तो आज यह दुर्घटना नहीं होती. उस वक्त केंद्रीय मंत्री को शिकायत पत्र सौंप कर कहा गया था कि हिंडालको अल्युमिनियम फैक्ट्री मुरी द्वारा विशाक्त अपशिष्ट को आबादी, कृषि व वन क्षेत्रों में डंप किया जा रहा है. साथ ही नदी में बहाया जा रहा है.
हादसे के लिए प्रबंधन व सरकार जिम्मेवार : सुबोधकांत सहाय
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने मुरी स्थित हिंडाल्को कंपनी का कास्टिक तालाब टूटने से हुए हादसे पर दु:ख जताया है. उन्होंने कहा है कि यह दिल दहलाने वाली घटना है. दुखद है कि कोई रेस्क्यू टीम शाम के छह बजे तक नहीं पहुंची. श्री सहाय ने इस घटना के लिए हिंडाल्को प्रबंधन की लापरवाही और सरकार की अनदेखी को जिम्मेवार ठहराया है.