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केंद्र सरकार ने दी अनुमति, झारखंड में 272 करोड़ खर्च होंगे सूखा राहत पर

आंनंद मोहन रांची : राज्य के सूखाग्रस्त जिलों में राहत कार्य चलाने के लिए केंद्र सरकार ने अनुमति दे दी है. राज्य में 272 करोड़ रुपये की लागत से सूखा राहत का काम चलाया जायेगा. इसके तहत पेयजल स्वच्छता पर करीब 120 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान है. शेष राशि कृषि व अन्य कार्य […]

आंनंद मोहन
रांची : राज्य के सूखाग्रस्त जिलों में राहत कार्य चलाने के लिए केंद्र सरकार ने अनुमति दे दी है. राज्य में 272 करोड़ रुपये की लागत से सूखा राहत का काम चलाया जायेगा. इसके तहत पेयजल स्वच्छता पर करीब 120 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान है. शेष राशि कृषि व अन्य कार्य पर खर्च होंगे. इस राशि को खर्च करने की अनुमति के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षतावाली स्क्रीनिंग कमेटी के पास रखा जायेगा.
स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हर मंगलवार को होती है. कमेटी के अनुमोदन के बाद राशि खर्च करने की अनुमति के लिए चुनाव आयोग के पास भेजा जायेगा.
राज्य के पास पड़े हैं दो हजार करोड़ : केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को कहा है कि अपने पास आपदा राहत में जमा पैसे से सूखा राहत कार्य चलायें. राज्य सरकार के पास आपदा मद में पैसे की कमी नहीं है.
केंद्र सरकार के निर्देश मिलने के बाद राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने विभागों को राशि देनी शुरू कर दी है. सूखा राहत के लिए सबसे पहले पेयजल स्वच्छता विभाग को 94 करोड़ दिये गये हैं. इसके अतिरिक्त कृषि व अन्य विभागों को राशि दी जायेगी. राज्य सरकार ने केंद्र से सूखा राहत के लिए 1535 करोड़ की मांग की थी. अभी राज्य सरकार सूखा राहत के लिए 272 करोड़ खर्च करने की योजना पर काम कर रही है.
क्या कहती हैं पार्टियां
राज्य सरकार गंभीर है. राज्य सरकार सूखाग्रस्त क्षेत्रों का दर्द समझ रही है. किसी स्तर पर कोताही नहीं बरती जायेगी. पहले भी आवश्यक और जनहित की योजनाओं पर सरकार ने फैसला लिया है. सूखा राहत कार्य अविलंब चलाया जायेगा. जल्द ही इस पर फैसला होगा. राज्य सरकार के प्रयास और केंद्र सरकार की संवेदनशीलता का परिणाम है कि सूखा राहत का पैसा आया है.
– प्रतुल शाहदेव, भाजपा प्रवक्ता
यह सरकार नींद में सोयी है. पूरा राज्य सूखे की चपेट में है. यह सरकार किसानों और गांव के लोगों की पीड़ा नहीं समझ रही है. इस सरकार को जनहित से लेना-देना नहीं है. सरकार को चिंता रहती, तो इस पर तुरंत फैसला होता. पहले भी राज्य में किसान आत्महत्या कर चुके हैं. यह सरकार केवल कॉरपोरेट घरानों को राहत देने के लिए काम कर रही है. सरकार सूखाग्रस्त इलाके में अविलंब राहत कार्य चलाये.
– आलोक कुमार दुबे, कांग्रेस प्रवक्ता
129 प्रखंड सूखाग्रस्त घोषित हुए थे झारखंड में
राज्य सरकार ने नवंबर, 2018 में राज्य के 129 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया था. नौ जिलों को पूर्ण रूप से सूखाग्रस्त घोषित किया गया था.
इसमें 93 प्रखंडों की स्थिति गंभीर बतायी गयी थी. राज्य सरकार ने इससे संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट से पारित किया था. कैबिनेट के अनुमोदन के बाद केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजी गयी थी. केंद्र सरकार की टीम ने सात से नौ दिसंबर तक राज्य के कई जिलों का दौरा किया था. केंद्र सरकार की टीम ने संशोधित प्रारूप देने का आग्रह किया था. इसके बाद राज्य सरकार ने 1535 करोड़ रुपये की मांग केंद्र सरकार से की थी.
आचार संहिता के कारण पड़ा था पैसा
चुनाव आचार संहिता के कारण सूखा राहत का पैसा पड़ा हुआ था. मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमेटी से अनुमति मिलने के बाद राशि विभागों को दी जा रही है. इससे पूर्व पेयजल के लिए केंद्र सरकार की ओर से 120 करोड़ रुपये राज्य को भेजे गये थे. चुनाव आयोग ने इस राशि को खर्च करने की अनुमति राज्य सरकार को दे दी है.
स्क्रीनिंग कमेटी लेती है फैसला
चुनाव के दौरान सरकार की किसी नयी योजनाओं के पैसे खर्च करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी फैसला करती है. राज्य सरकार की स्क्रीनिंग कमेटी अपनी अनुशंसा चुनाव आयोग को भेजती है.

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