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महिला बंदियों ने बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष के सामने रखी अपनी समस्याएं, कहा बच्चे घर पर अकेले हैं, कोई देखनेवाला नहीं

रांची : बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर मंगलवार को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार में महिला बंदियों का हाल जानने पहुंची. उन्होंने कई महिला बंदियों से बातचीत की. इस दौरान महिला बंदियों ने कहा कि मैम, बच्चे घर पर अकेले रहते हैं, कोई देखनेवाला नहीं है. चिंता होती है. सारी बातों को […]

रांची : बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर मंगलवार को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार होटवार में महिला बंदियों का हाल जानने पहुंची. उन्होंने कई महिला बंदियों से बातचीत की. इस दौरान महिला बंदियों ने कहा कि मैम, बच्चे घर पर अकेले रहते हैं, कोई देखनेवाला नहीं है.
चिंता होती है. सारी बातों को सुनने के बाद आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कुजूर ने उन महिला बंदियों को आश्वासन दिया कि जिले की बाल संरक्षण यूनिट ऐसे बच्चों के संरक्षण के लिए ही है. संबंधित जिले में डीसीपीओ से जांच कराने के बाद आवश्यक कार्रवाई का भरोसा भी दिलाया. इस दौरान श्रीमती कुजूर ने कारा अस्पताल का भी हाल जाना. वहां की व्यवस्था व रखरखाव पर आयोग ने संतोष जाहिर किया.
निरीक्षण के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कैदियों की उपस्थिति भी दर्ज करायी गयी. इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे के नियंत्रण कक्ष का भी जायजा लिया गया. सारे सीसीटीवी कैमरे कार्यरत अवस्था में पाये गये. कारा के जेलर ने बताया कि वह खुद भी बंदियों की नियमित तौर पर काउंसेलिंग करते हैं.
वहीं, पेरोल पर रिहा होनेवाले लोगों की लंबित संचिकाओं के निष्पादन में सहयोग की मांग की गयी. निरीक्षण दल में बाल कल्याण समिति रांची की सदस्य तनुश्री सरकार, झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था के कार्यकारिणी सदस्य पीयूष सेनगुप्ता के अलावा बचपन बचाओ आंदोलन के राज्य संयोजक अर्जुन कुमार शामिल थे.
12 बच्चे पाये गये
निरीक्षण के क्रम में आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कुजूर ने पाया कि महिला बंदियों के साथ 12 बच्चे भी हैं. इन बच्चों में पांच लड़की व सात लड़के थे. इन बच्चों की उम्र छह वर्ष से कम थी. जेल में बच्चों के लिए उपलब्ध सुविधाओं का भी जायजा लिया गया.
महिलाओं के प्रशिक्षण की है व्यवस्था
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के जेलर सीएस सुमन ने बताया कि कारा के अंदर महिलाओं के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग की व्यवस्था की गयी है. इनमें फैशन डिजाइनिंग, प्रिंटिंग, आर्टिफिशियल ज्वेलरी निर्माण व पेंटिंग शामिल हैं. प्रशिक्षण पाकर महिलाएं हुनरमंद भी बन रही हैं. बच्चों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था पूछने पर बताया कि महिला बंदियों के द्वारा ही इन बच्चों को पढ़ाया जाता है, साथ ही इच्छुक महिला बंदियों को भी पढ़ाया जाता है.
ज्वेलरी मेकिंग व प्रिंटिंग वर्क दिखाया
महिला बंदियों ने पेंटिंग, ज्वेलरी मेकिंग और प्रिंटिंग का कार्य करके दिखाया. साथ ही डॉक्टरों की उपस्थिति के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि चिकित्सक नियमित रूप से आते हैं. दिन में महिला चिकित्सक भी आती हैं.

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