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रांची : पीपीपी मोड पर चलेंगे झारखंड के चार इंजीनियरिंग व आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज

रांची : झारखंड के 12 तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों को पीपीपी मोड पर चलाने की तैयारी की जा रही है. इनमें चार इंजीनियरिंग कॉलेज व आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज शामिल हैं. चार इंजीनियरिंग कॉलेजों में रामगढ़ (गोला), जमशेदपुर, कोडरमा अौर पलामू शामिल हैं, जबकि आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज में बगोदर (गिरिडीह), गोड्डा, लोहरदगा, हजारीबाग, चतरा, खूंटी, जामताड़ा अौर […]

रांची : झारखंड के 12 तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों को पीपीपी मोड पर चलाने की तैयारी की जा रही है. इनमें चार इंजीनियरिंग कॉलेज व आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज शामिल हैं. चार इंजीनियरिंग कॉलेजों में रामगढ़ (गोला), जमशेदपुर, कोडरमा अौर पलामू शामिल हैं, जबकि आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज में बगोदर (गिरिडीह), गोड्डा, लोहरदगा, हजारीबाग, चतरा, खूंटी, जामताड़ा अौर पलामू शामिल हैं.
उच्च, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग द्वारा निजी कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) एवं देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिल कर पीपीपी मोड पर इन संस्थानों के उन्नयन, संचालन, प्रबंधन एवं रख-रखाव का प्रयास किया जा रहा है.
इस कड़ी में बुधवार को राज्य के उच्च शिक्षा सचिव राजेश कुमार शर्मा की अध्यक्षता में राज्य की प्रतिष्ठित अौद्योगिक इकाइयों, पीएसयू तथा निजी क्षेत्रों के शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई. बैठक में तकनीकी शिक्षा के निदेशक डॉ अरुण कुमार सहित शैक्षणिक संस्थान संचालन में रुचि रखनेवाले संस्थान टाटा स्टील लिमिटेड, जिंदल स्टील प्राइवेट लिमिटेड, सीसीएल, अोरिएन एडुटेक, अोपी जिंदल, सेंटम लर्निंग, टीम लीज, सेंचुरियन यूनिवर्सिटी आदि के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
बताया गया कि तकनीकी संस्थान के संचालन की जिम्मेदारी 25 वर्ष तक के लिए दी जा सकती है. जिसके बाद अवधि विस्तार अगले पांच वर्ष के लिए किया जा सकता है. सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के उपक्रम अपने सीएसआर फंड से संस्थानों का संचालन कर सकते हैं. पीपीपी मोड पर संचालित होनेवाले सभी संस्थानों के गैर शैक्षणिक संवर्ग के सभी पद झारखंड के स्थानीय लोगों से भरे जा सकेंगे.
साथ ही न्यूनतम 10 प्रतिशत सीटों पर सरकारी संस्थानों के शुल्क के अनुरूप नामांकन लेने की बाध्यता होगी. बैठक में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की अोर से पीपीपी मोड पर संचालित होनेवाले संस्थानों में अौद्योगिक इकाइयों की आवश्यकता के अनुरूप पाठ्यक्रम निर्माण करने एवं इनको झारखंड तकनीकी विवि से मान्यता दिये जाने का सुझाव सामने आया, जिस पर उच्च शिक्षा सचिव व निदेशक ने विचार करने की बात कही.

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