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आयुष्मान भारत योजना : अस्पतालों को सूची में डालने और हटाने का चल रहा खेल
संजय कुल 585 अस्पताल हुए हैं सूचीबद्ध रांची : झारखंड में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत 23 सितंबर 2018 को हुई है. इसके तहत मरीजों का नि:शुल्क इलाज करने के लिए राज्य के सरकारी व निजी अस्पताल सूचीबद्ध किये जा रहे हैं. आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना का संचालन कर रही नोडल एजेंसी […]
संजय
कुल 585 अस्पताल हुए हैं सूचीबद्ध
रांची : झारखंड में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत 23 सितंबर 2018 को हुई है. इसके तहत मरीजों का नि:शुल्क इलाज करने के लिए राज्य के सरकारी व निजी अस्पताल सूचीबद्ध किये जा रहे हैं. आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना का संचालन कर रही नोडल एजेंसी झारखंड राज्य आरोग्य समिति से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक कुल 585 अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है. इनमें 180 अस्पताल सरकारी हैं तथा शेष निजी.
इधर विभिन्न जिलों में वैसे अस्पतालों को भी सूचीबद्ध किये जाने की सूचना है, जो सरकार की तय शर्तों को पूरा नहीं करते तथा जिनके पास मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाअों का अभाव है. इस बात की पड़ताल पलामू जिले में करने पर इसकी पुष्टि हुई है, जहां कई अस्पताल चार-छह कमरों में चल रहे हैं. पहले आनन-फानन में सूचीबद्ध किये गये पलामू के 20 अस्पतालों को सूची से हटाने (डीइंपैनलमेंट) का अनुमोदन किया गया. पर 12 दिसंबर को हटाने के अनुमोदन के करीब डेढ़ माह बाद भी ये सभी अस्पताल सरकार की सूची में शामिल हैं.
सवाल यह है कि पहले इन्हें सूचीबद्ध कैसे किया गया था. फिर यदि कमी थी, तो उन्हें हटाने की अनुशंसा के डेढ़ माह बाद भी ये सूची में शामिल कैसे हैं. इधर पलामू में बीमा का काम देख रही थर्ड पार्टी एजेंसी (टीपीए), मेडि-एसिस्ट के एक सदस्य को लेनदेन के आरोपमें हटा दिया गया है. कुछ अस्पताल प्रबंधकों ने इसकी शिकायत की थी. इस बात की पुष्टि सिविल सर्जन, पलामू कलानंद मिश्र ने की है.
इधर हटाये गये इस सदस्य का कहना है कि गलत काम में बाधा बनने के कारण उसे मोहरा बनाया गया है. प्रभात खबर से उसने कहा कि जांच करा ली जाये, तो पलामू में 15 अस्पताल से अधिक सूची में रहने लायक नहीं मिलेंगे.
सूचीबद्ध होने की प्रक्रिया
गौरतलब है कि सूची में शामिल होने के लिए अस्पताल प्रबंधकों को सभी कागजात सहित तय फॉरमेट में अॉनलाइन आवेदन देना होता है. इसके बाद सिविल सर्जन, डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम मैनेजर तथा डिस्ट्रिक्ट को-अॉडिर्नेटर की टीम सरकार द्वारा तय मापदंड के आधार पर संबंधित अस्पताल की जांच के आधार पर उसे सूचीबद्ध करने की अनुशंसा करती है.
बड़े अस्पतालों की रुचि नहीं
सूत्रों के अनुसार राज्य भर के बड़े व बेहतर अस्पताल आयुष्मान भारत के तहत निबंधित नहीं होना चाहते हैं. इसकी वजह कथित तौर पर किसी इलाज के लिए कम पैसे मिलना है. पर दूसरी अोर दो-चार कमरों में चलने वाले तथा मापदंड पूरी न करने वाले अस्पताल, जिनका धंधा नहीं चलता, इस योजना में शामिल होने के लिए लालायित हैं.
अारोप के बाद एक टीपीए मेंबर को हटाया गया है. तीन चिकित्सकों (डॉ सुशील पांडेय, डॉ आनंद कुमार तथा डॉ सुषमा) की रिपोर्ट के आधार पर 20 अस्पतालों को सूची से हटाने की अनुशंसा की गयी थी. अब तक उन्हें क्यों नहीं हटाया गया, इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता.
डॉ कलानंद मिश्र, सिविल सर्जन पलामू
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