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रांची : पांच कारखानों के 500 कर्मचारियों को अाज तक नहीं मिला बकाये का हिसाब, इंप्लॉयज एसोसिएशन ने बिहार के उद्योग सचिव को लिखा पत्र
रांची : बिहार राज्य अौद्योगिक विकास निगम (बीएसआइडीसीएल) ने झारखंड स्थित अपने पांच कारखानों के करीब 500 कर्मचारियों को उनके बकाये का हिसाब आज तक नहीं दिया है. इससे कर्मचारियों को यह पता ही नहीं है कि उन्हें सरकार कुल कितना भुगतान करेगी. इनमें इइएफ टाटीसिलवे, हाइटेंशन इंसुलेटर, स्वर्णरेखा कारखाना व मैलुबल कास्ट सामलौंग रांची […]
रांची : बिहार राज्य अौद्योगिक विकास निगम (बीएसआइडीसीएल) ने झारखंड स्थित अपने पांच कारखानों के करीब 500 कर्मचारियों को उनके बकाये का हिसाब आज तक नहीं दिया है. इससे कर्मचारियों को यह पता ही नहीं है कि उन्हें सरकार कुल कितना भुगतान करेगी. इनमें इइएफ टाटीसिलवे, हाइटेंशन इंसुलेटर, स्वर्णरेखा कारखाना व मैलुबल कास्ट सामलौंग रांची तथा सुपर फास्फेट सिंदरी के कर्मचारी शामिल हैं.
इधर, इइएफ व हाइटेंशन रिटायर्ड इंप्लॉयज एसोसिएशन ने इस संबंध में बिहार के उद्योग सचिव को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि झारखंड व बिहार सरकार के बीच परिसंपत्तियों व देनदारी संबंधी बंटवारे से पहले सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ कार्यरत कर्मचारियों को भी यह पता होना चाहिए कि उनका निगम पर कुल कितना बकाया है. इसके बाद ही देनदारियों संबंधी सही आकलन किया जा सकता है.
एसोसिएशन के महामंत्री श्याम सुंदर प्रसाद ने लिखा है कि हर एक कर्मचारी का वेतन मद, भविष्य निधि मद, ग्रेच्युटी मद व लीव इनकैशमेंट मद सहित बोनस व डेफर्ड सीएलए मद के बकाये का हिसाब देना जरूरी है. इसमें कालबद्ध प्रोन्नति सहित पांचवें व छठे वेतनमान (जो अब तक लागू नहीं हुआ है) के लागू होने के बाद की परिस्थिति का भी ख्याल रखना होगा.
श्री प्रसाद के अनुसार आज तक सभी कर्मचारियों को उनके भविष्य निधि (पीएफ) का हिसाब नहीं दिया गया है. वहीं गत 35 वर्षों से पीएफ का अॉडिट भी नहीं कराया गया है. यह बेहद चिंताजनक है. एसोसिएशन की अोर से बिहार सरकार से यह मांग की गयी है कि उपरोक्त के संदर्भ में त्वरित कार्रवाई की जाये तथा झारखंड सरकार को देनदारी संबंधी दी गयी जानकारी का ब्रेक अप एसोसिएशन को भी उपलब्ध कराया जाये.
पल्ला झाड़ रहा है बिहार
इंप्लॉयज एसोसिएशन ने अपने पत्र में लिखा है कि अपने कर्मचारियों की देनदारी बताये बगैर तथा भुगतान किये बगैर बीएसअाइडीसीएल का अपनी परिसंपत्ति झारखंड सरकार को सौंप देना चौंकाने वाला कदम है. ऐसा कर बिहार अपना पल्ला झाड़ रहा है. निगम का यह कदम अपने कर्मचारियों के साथ हुए समझौता शर्तों का उल्लंघन है.
गत 25 वर्षों से निगम (जो कि एक कंपनी है) का अॉडिट नहीं हुआ है, जो इस कंपनी के आर्टिकल अॉफ एसोसिएशन की कंडिका 130 का भी उल्लंघन है. निगम के उपरोक्त निर्णय से यदि श्रम कानून व सेवा नियमावली की शर्तों में बदलाव होता है, तो यह न्यायोचित नहीं होगा.
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