मानवता की ज्योति प्रज्वलित करने वाले कवि अटल का जाना दुखद
रांची : अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की खबर सुनते ही झारखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति मंच में शोक की लहर फैल गयी. मंच के अध्यक्ष कामेश्वर निरंकुश ने कहा कि ऐसे जन मानस के लोकप्रिय कवि, नेतृत्वकर्ता, अटल विश्वास के अनुगामी, राष्ट्रीयता के पोषक, मृत्यु से भी काव्य साधना के बल पर अंतिम सांस तक हार नहीं माननेवाले भारत के पूर्व प्रधान मंत्री अटल जी को शत-शत नमन व श्रद्धांजलि. मंच के संरक्षक न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद ने कहा कि अटल जी के देहावसान से भारत ने एक रत्न खो दिया. प्रशांत करण ने इसे एक अपूरणीय क्षति बतायी. विद्याभूषण प्रसाद वर्मा ने कहा अटल जी की यादों ने भीतर तक भिगोया है,
मौत ने भी लड़नेवाले को लड़ते-लड़ते खोया है. कवयित्री गरिमा पाठक ने कहा कि हमारा देश रो रहा है अटल जी के जाने से, ऐसे महामना को सत-सत नमन. निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने उन्हें भारतीय राजनीति का ध्रुवतारा, संवेदनशील कवि कह कर शोक संवेदना प्रकट की. डॉ सुरिंदर कौर नीलम ने कहा कि अटल जी राजनीति के क्षेत्र में एक दिग्गज आदर्श कवि थे, उनके जाने से संपूर्ण मानवता को क्षति पहुंची है. कवि रजनीश ने कहा कि काव्य जगत को प्रज्वलित करने वाले अटल जी जैसे दीपक का बुझना दुखमय है.
मनोज बजाज, गिरिजा कोमल, शिल्पी कुमारी, प्रतिभा सिंह, माधुरी कुमारी, गीता सिन्हा, मुक्ति शाहदेव, रिंकु बनर्जी, राज कुमार श्रीवास्तव, पी के श्रीवास्तव, मीरा गुप्ता, सत्या शर्मा कीर्ति और राजीव कुमार सिन्हा ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किया.