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मामलों के समाधान के लिए मध्यस्थता एक सफल माध्यम
रांची. झारखंड लीगल सर्विसेज अॉथोरिटी (झालसा) के तत्वावधान में डोरंडा स्थित न्याय सदन में आयोजित राज्य स्तरीय मध्यस्थता कार्यशाला के दूसरे दिन शनिवार को विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे. 10 अगस्त को झारखंड हाइकोर्ट के तत्कालीन एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने कार्यशाला का उदघाटन किया था. कहा कि कॉमर्शियल कोर्ट एक्ट लागू हो जाने […]
रांची. झारखंड लीगल सर्विसेज अॉथोरिटी (झालसा) के तत्वावधान में डोरंडा स्थित न्याय सदन में आयोजित राज्य स्तरीय मध्यस्थता कार्यशाला के दूसरे दिन शनिवार को विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे.
10 अगस्त को झारखंड हाइकोर्ट के तत्कालीन एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने कार्यशाला का उदघाटन किया था. कहा कि कॉमर्शियल कोर्ट एक्ट लागू हो जाने के बाद तीन लाख रुपये तक के मामले अदालतों में ले जाने से पूर्व मध्यस्थता केंद्र में शिकायतकर्ता को रखना होगा. बिना मध्यस्थता केंद्र आये सीधे अदालत में मामला नहीं ले जाया जा सकता है. मध्यस्थता को सफल बनाने का समय अब आ गया है. मामले के समाधान में मध्यस्थता एक सफल माध्यम है. कम्युनिटी मेडिएशन पर देश का यह पहला वर्कशॉप है.
झारखंड राज्य आदिवासी बहुल राज्य है. आदिवासियों से जुड़ी समस्याअों का समाधान उन्हीं के स्तर पर कराया जाना बेहतर होगा. कार्यशाला के दाैरान पैनल डिस्कशन भी हुआ. डिस्कशन में चेन्नई के मध्यस्थ सह वरीय अधिवक्ता श्रीराम पंचू, कविथा बालाकृष्णन व अधिवक्ता चित्रा नारायण, कृतिका कृष्णमूर्ति, चंडीगढ़ के अधिवक्ता वरुणा भंडारी, रांची की डॉ रश्मि, बेंगलुरु की रुकमणि मेनन शामिल थे.
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