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तंगी से परेशान दो भाइयों ने परिवार के 5 लोगों की हत्या कर खुद भी फांसी लगा दी जान

रांची/मुंगेर : हजारीबाग में एक ही परिवार के छह लोगों की मौत की घटना से अभी लोग उबर भी नहीं पाये थे कि सोमवार को रांची के कांके थाने के अरसंडे में एक ही परिवार के सात लोगों की मौत की बात सामने आयी. इसमें परिवार के पांच लोगों की हत्या अौर दो सदस्यों के […]

रांची/मुंगेर : हजारीबाग में एक ही परिवार के छह लोगों की मौत की घटना से अभी लोग उबर भी नहीं पाये थे कि सोमवार को रांची के कांके थाने के अरसंडे में एक ही परिवार के सात लोगों की मौत की बात सामने आयी. इसमें परिवार के पांच लोगों की हत्या अौर दो सदस्यों के आत्महत्या की बात सामने आ रही है. अब तक की जांच में मामले की मुख्य वजह परिवार की आर्थिक तंगी और कर्ज बताया जा रहा है. जानकारी के अनुसार, दो सगे भाइयों दीपक कुमार झा व रूपेश कुमार झा ने मिल कर पहले परिवारके पांच सदस्यों की हत्या कर दी. फिर दोनों ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली.
जिनकी हत्या हुई है, उनमें दीपक झा की पत्नी सोनी देवी, बेटा जंगु और बेटी दृष्टि के अलावा दीपक और रूपेश के पिता सच्चिदानंद झा और मां गायत्री देवी शामिल है. घटना रविवार देर रात की है. यह परिवार मूल रूप से बिहार के मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड के चिरैयाबाद का रहनेवाला था. सच्चिदानंद झा रेलवे से सेवानिवृत्त थे. दीपक झा लोअर बाजार थाना क्षेत्र के मेन रोड स्थित एक फर्नीचर दुकान में स्टोरकीपर था. पूरा परिवार करीब 10 वर्षों से कांके थाना क्षेत्र में रहता था. वर्तमान में पूरा परिवार 11 जनवरी से आर्मी से रिटायर्ड कर्मी अलख नारायण मिश्रा के घर में किरायेदार के रूप में रहता था.
पुलिस को घटना की सूचना सोमवार सुबह करीब नौ बजे मिली. इसके बाद मौके पर रांची रेंज के डीआइजी अमोल वेणुकांत होमकर, एसएसपी अनीश गुप्ता और ग्रामीण एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग जांच के लिए पहुंचे. जांच के दौरान सीआइडी के अलावा एफएसएल और डॉग स्क्वॉयड की टीम भी थी. पुलिस ने रूपेश का शव एक कमरे में और दीपक कुमार झा का शव दूसरे कमरे में फंदे से लटका पाया. जिस कमरे में दीपक का शव मिला, उसी कमरे में परिवार के अन्य पांच सदस्यों के शव पड़ा था, जिनको चादर से ढंक दिया गया था.
जांच के दौरान पुलिस ने दीपक के पास से 15 पेज का और रूपेश से पास से दो पेज का एक सुसाइड नोट बरामद किया है. जांच के बाद पुलिस ने मृतकों के कमरे को सील कर दिया है. दीपक की पत्नी सोनी के गले में रस्सी से दबाने का निशान, मां गायत्री देवी के शरीर में चाकू से जख्म के निशान मिले हैं. वहीं तीन अन्य लोगों को भी संभवत: गला दबा कर मारा दिया गया.
इसके बाद दोनों भाई ने अपने कमरे में आत्महत्या कर ली. घटना स्थल का निरीक्षण के बाद रांची रेंज के डीआईजी एवी होमकर ने मामले की जांच के लिए रांची एसएसपी के नेतृत्व में एसअाईटी का गठन किया है. एसआईटी में ग्रामीण एसपी, मुख्यालय डीएसपी, सिल्ली डीएसपी के अलावा चार थानेदार, सीआईडी और एफएसएल की टीम को लगाया गया है.
डीआईजी अमोल वीणुकांत होमकर ने कहा कि दोनों भाई दीपक और रूपेश के पास से जो सुसाइड नोट मिला है. उससे स्पष्ट है कि दोनों ने आर्थिक तंगी व कर्ज के दबाव और दीपक मिश्रा ने केस में नाम आने के बाद बदनामी से बचने के लिए आत्महत्या किया है. प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आयी है कि दोनों ने आत्महत्या से पहले अपने परिवार के सदस्यों की हत्या की है, क्योंकि गायत्री देवी के शरीर पर जख्म के निशान हैं. सोनी देवी को भी गला दबाकर मारा गया है. अन्य लोगों को भी संभवत: गला दबाकर मारा गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद सभी के मौत असली वजह के बारे पता चलेगा.
नौ साल का सूरज जब दीपक झा की बेटी दृष्टि काे बुलाने गया तो खुला मौत का राज : घटना की जानकारी सबसे पहले बगल में रहने वाले नौ साल के छात्र सूरज को मिली. सोमवार की सुबह दीपक झा की पुत्री दृष्टि को स्कूल ले जाने के लिए सुबह 8:30 बजे स्कूल वैन घर के पास आया हुआ था. कई बार हाॅर्न बजाने के बाद भी जब दृष्टि घर से नहीं निकली तो उसे बुलाने लिए सूरज उसके कमरे की ओर गया. उसने उसके चाचा रूपेश काे फंदे से लटका पाया. डर से वह दौर कर अपनी मां के पास गया और उन्हें इसकी जानकारी दी. इसके बाद वे भी मकान मालिक सहित अन्य लोगों के साथ गयीं तो देखा कि सूरज जो कह रहा था, वह सही है. इसके बाद लोगों ने पुलिस को मामले की सूचना दी.
कर्ज से टूट गया था परिवार, इसलिए एक साथ मरने का लिया निर्णय : रूपेश
रूपेश ने लिखा है कि उसका परिवार कर्ज और आर्थिक तंगी के कारण टूट चुका था. इसलिए परिवार के सभी सदस्यों ने एक साथ मारने का निर्णय लिया.
धोखाधड़ी में नाम आने व कर्ज के कारण दे रहा जानदीपक झा के पास से 15 पेज का सुसाइड नोट बरामद हुआ है. उसने लिखा कि वह जिस कंपनी में वह काम करता था. वहां से धोखाधड़ी के केस में नाम आने के बाद बदनामी के डर से और आर्थिक तंगी के कारण जान दे रहा है. सवा साल के बेटे के इलाज में 15 से 20 लाख खर्च किये, पर वह ठीक नहीं हुआ. कई लोगों से कर्ज ले रखा था. बैंक लोन व क्रेडिट कार्ड का बकाया भी चुका नहीं पा रहा था. इसलिए ऐसा किया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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