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रांची :विद्युत विभाग को पहुंचाया आठ करोड़ का नुकसान
एसआइटी ने सरकार को भेजी रिपोर्ट, कई स्तरों पर नये सिस्टम बनाने का दिया सुझाव नानक इस्पात, नरेडी इंटरनेशनल व कामसा स्टील ने 5.57 करोड़ व गजानन फेरो ने 2.06 करोड़ की बिजली चोरी की रांची :जमशेदपुर की चार कंपनियों ने बिजली विभाग को आठ करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है. एक जनवरी 2015 से […]
एसआइटी ने सरकार को भेजी रिपोर्ट, कई स्तरों पर नये सिस्टम बनाने का दिया सुझाव
नानक इस्पात, नरेडी इंटरनेशनल व कामसा स्टील ने 5.57 करोड़ व गजानन फेरो ने 2.06 करोड़ की बिजली चोरी की
रांची :जमशेदपुर की चार कंपनियों ने बिजली विभाग को आठ करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है. एक जनवरी 2015 से 31 दिसंबर 2017 तक बिजली की आपूर्ति और खपत की जांच में यह बात सामने आयी है. नानक इस्पात, नरेडी इंटरनेशनल, कामसा स्टील व गजानन फेरो पर बिजली चोरी का आरोप है.
इस संबंध में मंत्री सरयू राय के पत्र पर मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा गठित एसआइटी ने विभाग को रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नानक इस्पात, नरेडी इंटरनेशनल व कामसा स्टील ने 5.57 करोड़ व गजानन फेरो ने 2.06 करोड़ की बिजली चोरी तीन सालों में की है.
एसआइटी के अध्यक्ष एडीजी अनिल पालटा हैं, जबकि सदस्यों में अभियंता अमित कुमार, अनिल कुमार भरतीयम व सुरेश राम शामिल हैं.
एसआइटी ने बिजली चोरी के लिए एक जनवरी 2015 से 31 दिसंबर 2017 तक बिजली की सप्लाइ में कार्यरत रहे अभियंताओं व कर्मियों को दोषी मानते हुए इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा विभाग से की है. ग्रिड से कितनी बिजली की आपूर्ति की गयी, इसकी जानकारी ग्रिड के द्वारा सप्लाइ विभाग को दी गयी, लेकिन सप्लाइ विभाग ने यह पड़ताल करने की कोशिश ही नहीं की कि ग्रिड से सप्लाइ के बाद कंपनी के मीटर में कम बिजली अंकित हो रहा है, तो फिर बिजली जा कहां रही है.
ऐसे पकड़ी गयी बिजली चोरी
चारों कंपनियों को ग्रिड से सीधे विद्युत सप्लाइ की जाती थी. एक मीटर ग्रिड में और दूसरा उक्त कंपनी में लगा हुआ था. जांच टीम ने पाया कि कंपनी को ग्रिड से जितनी बिजली आपूर्ति की जाती थी और कंपनी में जो मीटर था उसमें खपत सप्लाइ की तुलना में काफी कम दर्ज थी. इसलिए चारों कंपनियों के मीटर को जब्त कर उसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजे जाने की अनुशंसा भी विभाग से एसआइटी ने की है.
पिछले वर्षों की जांच होने पर और हो सकता है बिजली चोरी का खुलासा
एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तीन वर्षों की जांच में जिस तरह से बिजली चोरी किये जाने का खुलासा हुआ है. उसी तरह अगर वर्ष 2015 के पहले के वर्षों की जांच की जाये, तो और भी बिजली चोरी की बातें सामने आ सकती हैं. विभाग चाहे तो जांच कर सकता है.
बड़े कंज्यूमर को सेपरेट फीडर पर रखा जाये :
एसआइटी ने कहा है कि जो भी बड़े कंज्यूमर हैं, उनको विभाग सेपरेट फीडर पर रखे. तभी बिजली चोरी किये जाने का पता चल सकता है. एक ही लाइन से कई लोगों को बिजली आपूर्ति किये जाने पर यह पता करना काफी मुश्किल होता है कि कौन बिजली चोरी कर रहा है.
रिले सेटिंग का नियम बनाये विभाग :
बिजली विभाग में रिले सेटिंग महत्वपूर्ण होता है. ग्रिड से आपूर्ति के बाद बिजली के बहाव की गति कब कैसी होगी, इसका कोई नियम विभाग ने आज तक बनाया ही नहीं.
जब जिस लेबल में जिस अभियंता को मन किया वह आपूर्ति की गति को अपने मन से कम और ज्यादा करता रहा. इस बाबत एसआइटी ने विभाग को सुझाव दिया है कि सप्लाइ के कार्यपालक अभियंता को रिले सेटिंग में पावर सप्लाइ में कम या ज्यादा बिजली फ्लो करने का अधिकार दिया जाये. इसके अलावा चेक मीटर लगाने और इंस्पेक्शन के तरीकों में किस तरह के बदलाव किये जाएं यह भी बताया है.
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