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रांची : सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को राज्य के 11 वन्य जीव आश्रयणियों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के आग्रह को स्वीकार कर लिया. खंडपीठ ने कहा कि […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को राज्य के 11 वन्य जीव आश्रयणियों को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के आग्रह को स्वीकार कर लिया. खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार का जो जवाब है, उस पर राज्य सरकार अपना जवाब दायर करे. मामले की अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी.
इससे पूर्व केंद्र सरकार की अोर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि राज्य के 10 वन्य जीव आश्रयणी व एक नेशनल पार्क को इको सेंसेटिव जोन घोषित करने की दिशा में ड्राफ्ट पब्लिकेशन हो चुका है. ड्राफ्ट पब्लिकेशन होने के बाद राज्य सरकार ने कुछ आपत्ति जतायी है. आपत्ति पर एक्सपर्ट कमेटी विचार करेगी.
राज्य में पहाड़ों के गायब होने के मामले में सुनवाई
झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को पहाड़ों के गायब होने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार के जवाब पर संतोष प्रकट किया. खंडपीठ ने कहा कि लघु खनिजों से संबंधित नियमावली के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को एक माह के अंदर अंतिम रूप से लागू किया जाये. प्रदूषण के मामले में सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 19 जुलाई
की तिथि निर्धारित की. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा गया.खंडपीठ ने केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय के सचिव या अन्य अधिकारी जो संयुक्त सचिव रैंक से नीचे के नहीं हों, को सुनवाई के दाैरान सशरीर उपस्थित होने से छूट भी प्रदान कर दी. सुनवाई के दाैरान केंद्र सरकार की अोर से नियमावली का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन प्रस्तुत किया गया. इसमें कहा गया है कि बालू को लेकर नियमावली लागू है. अब बालू के अलावा अन्य लघु खनिजों के मामले में केंद्र सरकार सभी अधिकार राज्यों को देने जा रही है. यह अधिकार डिस्ट्रिक्ट इंवायरमेंट इंपैक्ट एसेस्मेंट ऑथोरिटी के पास रहेगा.
उल्लेखनीय है कि प्रभात खबर में पहाड़ों के गायब होने से संबंधित प्रकाशित समाचार को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने भी जनहित याचिका दायर कर हजारीबाग में अवैध खनन का मामला उठाया है.

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