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भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के प्रस्ताव को राष्ट्रपति ने दे दी मंजूरी! जानें अब आगे क्‍या होगा

केंद्र सरकार की आपत्ति का निराकरण करने के बाद राष्ट्रपति ने लगायी मुहर रांची : राष्ट्रपति ने झारखंड सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है. इससे संबंधित फाइल राज्यपाल द्रौपदी मुरमू को भेज दी गयी है. हालांकि राज्यपाल के सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी के छुट्टी पर […]

केंद्र सरकार की आपत्ति का निराकरण करने के बाद राष्ट्रपति ने लगायी मुहर
रांची : राष्ट्रपति ने झारखंड सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है. इससे संबंधित फाइल राज्यपाल द्रौपदी मुरमू को भेज दी गयी है. हालांकि राज्यपाल के सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी के छुट्टी पर होने की वजह से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा सकी. पर अनाधिकारिक तौर पर सरकार के बड़े अधिकारी राष्ट्रपति की मंजूरी संबंधी बात को स्वीकार कर रहे हैं.
राज्य सरकार ने करीब दो सप्ताह पूर्व केंद्र की आपत्तियों का निराकरण करते हुए संशोधन बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए फिर से भेजा था. संशोधन के परिणाम की पूरी जिम्मेदारी लेते हुए इस पर सहमति देने का आग्रह किया था.
केंद्र ने सरकार से पूछे थे सवाल : केंद्र सरकार ने संशोधन बिल को दूसरी बार लौटाते हुए पूछा था कि इसके परिणामों की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी या नहीं. साथ ही केंद्र ने अधिग्रहण बिल में प्रस्तावित संशोधन को पिछली तिथि से लागू करने पर भी आपत्ति जतायी थी.
राजभवन ने इन दोनों बिंदुओं पर सरकार का पक्ष पूछा था. राज्य सरकार ने संशोधन के परिणाम की जिम्मेदारी लेने और पिछली तिथि से प्रभावी नहीं करने की बात मानते हुए फिर से इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा था.
राजभवन भेजी गयी फाइल, पर पुष्टि नहीं, अधिसूचना की तिथि से ही लागू होगा संशोधन
अब आगे क्या
राज्यपाल संशोधन िबल को अनुमोिदत करेंगी
इसके बाद राजभवन की ओर से सरकार को भेजा जायेगा
राज्य सरकार इसे भू-अर्जन िवभाग को भेजेगी
भू-अर्जन िवभाग की ओर से अिधसूचना जारी होते ही संशोधन लागू हो जायेगा
विधानसभा में मॉनसून सत्र के दौरान पास िकया गया था संशोधन िबल
12 अगस्त को विधानसभा से भूमि अर्जन-पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापना में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार, झारखंड संशोधन विधेयक-2017 पारित हुआ था. इसमें सोशल इंपैक्ट के अध्ययन के प्रावधान को खत्म किया गया था.
स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी, रेल परियोजना, सिंचाई योजना, विद्युतीकरण, जलापूर्ति योजना, सड़क, पाइप लाइन, जलमार्ग और गरीबों के आवास के निर्माण में भू-अर्जन में सोशल इंपैक्ट स्टडी (सर्वे) नहीं करने की बात थी. मॉनसून सत्र के दौरान इस संशोधन को लेकर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज की थी. इसके बाद भी विधानसभा में शोर-शराबे के बीच ध्वनि मत से बिल पारित किया गया था़
क्या थी कृषि मंत्रालय की आपत्ति
पूर्व में केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय ने आपत्ति करते हुए लिखा था कि राज्य सरकार के संशोधन पर सहमति देने से कृषि योग्य भूमि में कमी आयेगी.
इससे कृषि भूमि को गैर कृषि उपयोग के लिए हस्तांतरण करने में तेजी आयेगी. यह झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन राष्ट्रीय कृषि नीति 2007 और राष्ट्रीय पुनर्वास नीति 2007 के उद्देश्यों व प्रावधानों के प्रतिकूल है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने लिखा था कि भारत सरकार की यह नीति है कि कृषि भूमि का हस्तांतरण गैर कृषि कार्य के लिए नहीं किया जायेगा. परियोजनाएं बंजर भूमि पर लगायी जाये. साथ ही केंद्र ने पूछा था कि संशोधन परिणाम की जिम्मेवारी किसकी होगी.
क्या था राज्य सरकार का जवाब
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सरकार की ओर तैयार जवाब में कहा गया है कि वेस्टलैंड, अनुपयोगी, बंजर भूमि के अधिग्रहण के लिए पहले से कानून बना हुआ है.
किसी भी जिले में बहुफसलीय सिंचित क्षेत्र का दो प्रतिशत से अधिक जमीन अर्जित नहीं किया जायेगा. किसी भी जिले में कुल शुद्ध बोया क्षेत्र की एक चौथाई से अधिक भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जायेगा. बिल में संशोधन के परिणाम की पूरी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी. साथ ही बिल अधिसूचना जारी होने की तिथि से ही लागू किया जायेगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
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