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रांची : स्कूलों को मर्ज कर दूर करें शिक्षकों की कमी : अनिल स्वरूप

स्कूलों को दिये गये टैब का करें सही उपयोग, लायें पारदर्शिता कस्तूरबा विद्यालयों में छात्रावास का निर्माण जल्द शुरू करें रांची : केंद्रीय शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने कहा है कि देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुरूप संचालित नहीं होनेवाले विद्यालयों का विलय किया जा रहा है. झारखंड में भी […]

स्कूलों को दिये गये टैब का करें सही उपयोग, लायें पारदर्शिता
कस्तूरबा विद्यालयों में छात्रावास का निर्माण जल्द शुरू करें
रांची : केंद्रीय शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने कहा है कि देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुरूप संचालित नहीं होनेवाले विद्यालयों का विलय किया जा रहा है. झारखंड में भी इसकी प्रक्रिया शुरू हुई है.
स्कूलों के विलय से शिक्षकों की कमी दूर होगी. राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने इस क्षेत्र में बेहतर काम किया है. केंद्र सरकार द्वारा दीक्षा और शाला जैसे वेब पोर्टल शुरू किये गये हैं. इन पोर्टल पर राज्यों में शिक्षा और स्कूलों से संबंधित पूरी जानकारी डाली जा सकती है. इससे स्कूल के संसाधन के साथ-साथ शिक्षक-छात्र अनुपात की पूरी जानकारी ली जा सकती है. इससे समस्या के समाधान के साथ सिस्टम में भी पारदर्शिता आयेगी. स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात सही रखने में काफी मदद मिलेगी. इससे शिक्षकों की कमी की समस्या भी बड़े पैमाने पर दूर की जा सकती है.
श्री स्वरूप ने झारखंड के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी और शिक्षा विभाग के प्रभारी सचिव अजय कुमार सिंह समेत अन्य अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए टैब वितरण और उसके इस्तेमाल पर भी सवाल उठाये.
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के बीच टैब का वितरण तो किया गया है, परंतु उसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. इससे टैब वितरण का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका है. झारखंड को टैब के मामले में छत्तीसगढ़ का अनुसरण करना चाहिए. छत्तीसगढ़ में पढ़ाई को टैब के साथ जोड़ा गया है. इससे विद्यार्थी टैब का पूरा इस्तेमाल कर पा रहे हैं. श्री स्वरूप ने सभी कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में प्लस टू तक पढ़ाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिये.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कस्तूरबा विद्यालयों में छात्रावास बनाने के लिए राशि मुहैया करायी है. जल्द से जल्द सभी कस्तूरबा स्कूलों में छात्रावास निर्माण आरंभ होना चाहिए. छात्रावास के लिए जमीन नहीं मिलने की बात पर केंद्रीय सचिव ने कहा कि जितनी जगहों पर जमीन उपलब्ध है, वहां निर्माण आरंभ करायें. शेष राशि सरेंडर कर दी जानी चाहिए.

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