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रांची : 26 दिन की बच्ची का फेफड़ा था खराब, सर्जरी कर निकाला, इधर, 3 महीने में रिम्स में हो गयी 301 बच्चों की मौत

रांची : चतरा के खेरा केवलिया की रहेनवाली सुनीता देवी ने 24 अप्रैल को एक बच्ची को जन्म दिया था. परिजन सुभाष कुमार राणा ने बताया कि जन्म के बाद से ही बच्ची को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. धड़कनें तेज हो गयी थीं और शरीर काला पड़ने लगा था. बच्ची को परिजन […]

रांची : चतरा के खेरा केवलिया की रहेनवाली सुनीता देवी ने 24 अप्रैल को एक बच्ची को जन्म दिया था. परिजन सुभाष कुमार राणा ने बताया कि जन्म के बाद से ही बच्ची को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. धड़कनें तेज हो गयी थीं और शरीर काला पड़ने लगा था. बच्ची को परिजन ने पास के ही अस्पताल में भर्ती कराये, लेकिन उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. इसके बाद परिजन उसे रिम्स लेकर आये.
रिम्स के शिशु सर्जरी ओपीडी में विभागाध्यक्ष डॉ हिरेंद्र बिरुआ की देखरेख में बच्ची का इलाज शुरू हुआ. लक्षण के आधार पर डॉक्टरों उसकी छाती का सीटी स्कैन कराया. साथ ही ब्रोंकोस्कोपी की गयी. इसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि बच्ची का बायां फेफड़ा खराब हो चुका है.
डॉ बिरुआ ने बताया कि बच्ची ‘कंजेनाइटल लोबार इंफैसिमा’ से पीड़ित थी. इस वजह से सांस लेने पर बच्ची के बायें फेफड़े में ऑक्सीजन जाता तो था, लेकिन बाहर नहीं निकल पाता था. इससे फेफडो का आकार बड़ा हो गया था. साथ ही दायें फेफड़े पर दबाव बढ़ता जा रहा था. डॉक्टरों ने बच्ची की जान बचाने के लिए ऑपरेशन कर बायां फेफड़ा हटाने का निर्णय लिया.
19 मई को की गयी बच्ची की सर्जरी : शिशु सर्जरी विभाग के डॉक्टरों की टीम ने 19 मई को बच्ची का ऑपरेशन किया. शिशु सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ हिरेंद्र बिरुआ ने बताया कि निजी अस्पतालों में इस तरह की सर्जरी के लिए 1.5 लाख से दो लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं, जबकि रिम्स में हुई इस सर्जरी में परिजन को महज 5000 रुपये ही खर्च करने पड़े. वहीं, शिशु सर्जन डॉ अभिषेक ने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ है. भविष्य में समस्या नहीं होगी. कई मरीज ऐसे हैं जो एक फेफड़े पर जिंदा है. हालांकि, मरीज को लगातार डॉक्टर की सलाह में रहना पड़ता है.
यह सर्जरी काफी जटिल थी, क्योंकि बच्ची की उम्र महज 26 दिन ही थी. सर्जरी के जरिये उसके बायें फेफड़े को हटा दिया गया है. उम्मीद है कि बच्ची स्वस्थ जीवन व्यतीत करेगी.
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सर्जरी में शामिल थे ये डॉक्टर
बच्ची की सर्जरी में शिशु सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ हिरेंद्र बिरुआ, डॉ अभिषेक कुमार, डॉ गजेंद्र पंडित, डॉ डी मिश्रा के अलावा एनेस्थेटिक डॉ लाधु लकड़ा, डॉ मुकेश और डॉ स्मिता ने अपना योगदान दिया.
इधर, तीन महीने में रिम्स में हो गयी 301 बच्चों की मौत
रिम्स में तीन माह में 303 बच्चों की मौत हुई है. रिम्स के ही आंकड़े बताते हैं कि जनवरी में 93, फरवरी में 96 व मार्च में 114 मौत हुई है. हालांकि, जनवरी में 606, फरवरी में 604 व मार्च में 761 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया गया है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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