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सांसद महेश पोद्दार की RIMS के डॉक्टरों व नर्सों से अपील : मंत्री से मिलने की जिद छोड़ें, हड़ताल तोड़ें

रांची : झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के 800 कर्मचारी (जूनियर डॉक्टर और नर्सें) हड़ताल पर हैं. मरीजों का इलाज लगभग ठप हो गया है. कुछ गिने-चुने डॉक्टरों और नर्सों पर पूरे अस्पताल के मरीजों के इलाज का बोझ आन पड़ा है. हड़ताली कर्मचारी स्वास्थ्य मंत्री से मिलने की जिद पर अड़े हैं. […]

रांची : झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के 800 कर्मचारी (जूनियर डॉक्टर और नर्सें) हड़ताल पर हैं. मरीजों का इलाज लगभग ठप हो गया है. कुछ गिने-चुने डॉक्टरों और नर्सों पर पूरे अस्पताल के मरीजों के इलाज का बोझ आन पड़ा है. हड़ताली कर्मचारी स्वास्थ्य मंत्री से मिलने की जिद पर अड़े हैं. ऐसे में झारखंड से राज्यसभा सांसद महेंद्र पोद्दार ने हड़ताल पर गयेरिम्सके डॉक्टरों और नर्सों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द अपनी हड़ताल खत्म करें. मरीज परेशान हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक परिवार की गलती की सजा, अस्पताल में इलाज करा रहे सैकड़ों-हजारों मरीजों को नहीं दी जा सकती. इसलिए वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और जल्द से जल्द काम पर लौटें. उनकी समस्याओं का समाधान जरूर होगा.

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श्री पोद्दार ने हड़ताल से जुड़ी prabhatkhabar.com की रिपोर्ट को री-ट्वीट करते हुए लिखा है कि झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इस समय कहीं बाहर गये हुए हैं. उन्हें लौटने में कुछ दिन लगेंगे. इसलिए हड़ताल कर रहे लोगों को स्वास्थ्य मंत्री से मिलने की जिद छोड़ देनी चाहिए. फिलहाल वे काम पर लौटें और अपनीनाराजगी किसी और तरीके से जतायें.

सांसद ने कहा है कि यदि हड़ताल कर रहे लोगों ने अपनी जिद नहीं छोड़ी, तो रिम्स में भर्ती मरीजों को स्थायी नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि डॉक्टरऔर नर्स का धर्म मरीजों की सेवा करना है. वे हमेशा से मरीजों की सेवा करते आये हैं. राज्यसभा सांसद ने समाज की ओर से हड़ताली कर्मचारियों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द काम पर लौटें, ताकि निर्दोष बीमार लोगों की जान न जाये.

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श्री पोद्दार ने मरीजों के परिजनों से भी अपील की है कि वे अस्पताल के डॉक्टरों और मरीजों के साथ मारपीट न करें. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा सुविधा से लैस रिम्स अस्पताल से हर दिन सैकड़ों लोग स्वस्थ होकर जाते हैं. उनकी देखभाल यही डॉक्टर और नर्स करते हैं. किसी भी की मौत दुखदायी होती है, लेकिन नियति भी कोई चीज है. इसे स्वीकार करना चाहिए. कोई डॉक्टर या नर्स नहीं चाहता कि जिसका वे इलाज कर रहे हैं, उसकी मौत हो जाये.

उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े अस्पतालों में लोग इलाज पर लाखों रुपये खर्च करते हैं. कई बार मरीज की जान बच जाती है, कई बार डॉक्टर उन्हें नहीं बचा पाते. मरीजों के परिजनों को डॉक्टरों और नर्सों पर भरोसा रखना चाहिए. वे पूरी जिम्मेदारी से अपना कर्तव्य निभाते हैं. वे सम्मान के हकदार हैं. यदि आप सम्मान नहीं देते, तो कम से कम उन्हें अपमानित न करें. उनके साथ मारपीटकरउन्हें नुकसान न पहुंचायें.

Prabhat Khabar Digital Desk
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