नयी दिल्ली : देश के 44 जिले अब माओवाद प्रभावित नहीं हैं या फिर वहां माओवादियों की मौजूदगी न के बराबर है. वाम चरमपंथ अब केवल 30 जिलों तक ही सीमित रह गया है. केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने कहा कि वाम चरमपंथ की हिंसा का भौगोलिक फैलाव बीते चार वर्ष में उल्लेखनीय ढंग से सिमटा है. इसका श्रेय सुरक्षा और विकास संबंधी उपायों की बहुमुखी रणनीति को जाता है.
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नक्सल प्रभावित इलाके घटे, 44 जिलों को सूची से हटाया गया : केंद्रीय गृह सचिव
नयी दिल्ली : देश के 44 जिले अब माओवाद प्रभावित नहीं हैं या फिर वहां माओवादियों की मौजूदगी न के बराबर है. वाम चरमपंथ अब केवल 30 जिलों तक ही सीमित रह गया है. केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने कहा कि वाम चरमपंथ की हिंसा का भौगोलिक फैलाव बीते चार वर्ष में उल्लेखनीय ढंग […]
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा , ‘‘ 44 जिलों में वाम चरमपंथ या तो है ही नहीं या फिर उसकी मौजूदगी न के बराबर है. नक्सली हिंसा अब उन 30 जिलों तक सीमित रह गई है जो जिले कभी इससे बुरी तरह प्रभावित थे. ‘ गॉबा ने कहा कि नक्सल विरोधी नीति की मुख्य विशेषता है हिंसा को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं करना और विकास संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देना ताकि नई सड़कों , पुलों , टेलीफोन टॉवरों का लाभ गरीबों और प्रभावित इलाकों के लोगों तक पहुंच सके. गृह मंत्रालय ने 10 राज्यों में 106 जिलों को वाम चरमपंथ प्रभावित की श्रेणी में रखा है.
ये जिले सुरक्षा संबंधी खर्च ( एसआरई ) योजना के तहत आते हैं. इसका उद्देश्य सुरक्षा संबंधी खर्च जैसे ढुलाई , वाहनों को भाड़े पर लेना , आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को वजीफा देना , बलों के लिए आधारभूत ढांचे का निर्माण आदि के लिए भुगतान करना है। श्रेणीबद्ध करने से सुरक्षा और विकास संबंधी संसाधनों की तैनाती पर ध्यान केंद्रित करने का आधार मिल जाता है.
बीते कुछ वर्षों में कुछ जिलों को छोटे जिलों में विभाजित किया गया है. इसके परिणामस्वरूप 106 एसआरई जिलों का भौगोलिक इलाका 126 जिलों में फैला है। गृह मंत्रालय ने प्रभावित जिलों के निरीक्षण के लिए हाल में राज्यों के साथ व्यापक स्तर पर बातचीत की ताकि बदलती जमीनी सचाई के मुताबिक बलों और संसाधनों की तैनाती की जा सके.
इस तरह एसआरई सूची से 44 जिलों को बाहर किया गया और आठ नए जिलों को इसमें जोड़ा गया. अपने प्रभाव वाले इलाकों को बढ़ाने के माओवादियों के किसी भी प्रयास को देखने के लिए यह अग्रसक्रिय कदम है. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इसलिए एसआरई जिलों की कुल संख्या 90 है. इसी तरह माओवाद से बुरी तरह प्रभावित जिलों की संख्या 35 से घटकर 30 रह गई है.
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