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झारखंड के जिला जेलों में क्षमता से अधिक कैदी, केंद्रीय कारा में कम, वितरण में भी असंतुलन

राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार के सवाल के जवाब में गृहराज्यमंत्री ने दी जानकारी नयी दिल्ली/रांची : झारखंड की विभिन्न जेलों में न सिर्फ क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं बल्कि विभिन्न कोटि की जेलों के बीच कैदियों का वितरण भी असंतुलित है. मसलन, राज्य केपांच केंद्रीय काराओं, 17 जिला जेलों,पांच उप काराओं, एक बोरस्टॉल स्कूल […]

राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार के सवाल के जवाब में गृहराज्यमंत्री ने दी जानकारी

नयी दिल्ली/रांची : झारखंड की विभिन्न जेलों में न सिर्फ क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं बल्कि विभिन्न कोटि की जेलों के बीच कैदियों का वितरण भी असंतुलित है. मसलन, राज्य केपांच केंद्रीय काराओं, 17 जिला जेलों,पांच उप काराओं, एक बोरस्टॉल स्कूल औरएक खुली जेल में कुल 17,173 कैदी बंद हैं, जबकि इन सभी जेलों को मिलाकर कैदियों की कुल क्षमता 15,473 ही है. खास बात यह है कि निर्धारित क्षमता की तुलना में कैदियों की तादाद जिला जेलों में जहां करीब डेढ़ गुना यानी 146.9 प्रतिशत है वहीं केंद्रीय जेलों में निर्धारित क्षमता से कम यानी 95 प्रतिशत कैदी ही हैं. इसी प्रकार, उप जेलों में निर्धारित क्षमता की तुलना में 95.4 प्रतिशत, बोरस्टॉल स्कूल में 31 प्रतिशत और खुली जेल में मात्र 13 प्रतिशत कैदी ही हैं. राज्यसभा में झारखंड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार के एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने यह जानकारी दी है.

गृह राज्यमंत्री अहीर ने यह जानकारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा दिनांक 31 दिसंबर 2016 की स्थिति के अनुसार दी है. श्री अहीर ने कहा कि ‘कारागार’ राज्य का विषय है, कारागारों का प्रशासन और प्रबंधन मुख्यतः संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है. भारत सरकार कारागार सुधारों के विभिन्न पहलुओं पर राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को नियमित मार्गदर्शन प्रदान करती रहीहै. भारत सरकार ने मई 2016 में राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों को उनके मार्गदर्शन के लिए मॉडल कारागार मैनुअल परिचालित किया था, जिसका उद्देश्य देश भर में कारागारों का प्रशासन और कैदियों के प्रबंधन करने वाले नियमों और विनियमों में समरूपता लाना है.

इसमें कारागार में कैदियों के लिए यह पर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं, स्नान के स्थान, रसोईघर, अस्पताल, वर्क शेड और मनोरंजन सुविधाओं आदि संबंधी व्यवस्था भी शामिल है. इसके अतिरिक्त मैनुअल में कैदियों के रखरखाव, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, कानूनी सहायता, कैदियों के कल्याण, आपातकाल, बाहरी दुनिया के साथ संपर्क आदि पर विस्तृत प्रावधान भी हैं.

गृह मंत्रालय सभी राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों के डीजी-आइजी की बैठकें भी आयोजित करता है जिनमें कैदियों के रहन-सहन की स्थिति में सुधार लाने के लिए कारागार सुधार से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है तथा राज्यों को मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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