रांची : मुख्यमंत्री राहत कोष का चेक लेकर एक दुखियारी मां दर-दर भटक रही है. बैंक में मुख्यमंत्री राहत कोष का चेक नहीं स्वीकार किया जा रहा है.बैंक के अधिकारी चेक पर किये गये सिग्नेचर के अपडेट नहीं होने की बात कहते हुए चेक को बाउंस बता रहे हैं. इस वजह से उसके बच्चे का इलाज नहीं हो रहा है. कहानी रांची के धुर्वा क्षेत्र में रहनेवाली प्रभा देवी की है. उसका गोद लिया बेटा रॉयल हाइड्रोसेफलिस नाम की बीमारी से पीड़ित है. रॉयल को उनके माता-पिता धनबाद के अस्पताल के बाहर छोड़ गये थे.
प्रभा ने उस बच्चे को अपनाते हुए उसका इलाज कराना शुरू किया. जेवर बेचे, मंगलसूत्र बेचे, कर्ज लिया और बीमार बच्चे रॉयल को नया जीवन दिया. फिर नवंबर 2017 को रॉयल को पैरालिसिस का अटैक आया. गरीब परिवार के होते हुए भी प्रभा ने हार नहीं मानी. 20 रुपये के ब्याज पर कर्ज लेकर रॉयल का इलाज कराया. अपने गोद लिये बच्चे के इलाज को लेकर प्रभा द्वारा किये जा रहे संघर्ष की खबर मीडिया में आयी.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने खबर पर तत्काल संज्ञान लिया. 16 दिसंबर 2017 को श्री दास ने रॉयल के इलाज के लिए एक लाख रुपये की तत्काल सहायता की घोषणा की. उस सहायता का चेक हासिल करने में प्रभा देवी को दो महीने का समय लगा. सरकारी कार्यालयों के दर्जनों चक्कर काटने और कई दस्तावेज जमा करने के बाद उसे मुख्यमंत्री कार्यालय से 16 फरवरी 2018 को एक लाख रुपये का चेक मिला.
प्रभा चेक लेकर बैंक गयी, तो उसे बताया गया कि चेक बाउंस हो गया है. चेक पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील बर्णवाल और उप सचिव के हस्ताक्षर हैं.
बैंक के अधिकारियों का कहना है कि श्री बर्णवाल का सिग्नेचर बैंक में अपडेट नहीं किया गया है. इस वजह से मुख्यमंत्री राहत कोष का चेक भंजाया नहीं जा सकता है. पिछले 15 दिनों से प्रभा बैंक और सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रही है, लेकिन अब तक उसका चेक नहीं स्वीकार किया जा रहा है. उनके बेटे रॉयल का इलाज शुरू नहीं हो पा रहा है. हालांकि, प्रभा की आस अब भी बाकी है. वह कहती है कि कल फिर बैंक जायेगी. मुख्यमंत्री कार्यालय जायेगी. कुछ लोगों ने कहा है कि काम हो रहा है. जल्द ही तुम्हारा चेक स्वीकार कर लिया जायेगा.
