15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

झारखंड : कोयला उद्योग में बन रहे हड़ताल के आसार, चार को दिल्ली में बैठक, जानें पूरा मामला

II मनोज सिंह II चार को दिल्ली में बैठक, निजी कंपनियों को कोयला खनन व बिक्री का अधिकार देने का विरोध रांची : कोयला उद्योग में एक बार फिर हड़ताल के आसार दिख रहे हैं. भारत सरकार के आर्थिक मामलों के कैबिनेट के फैसले से यूनियनों में नाराजगी है. इस नाराजगी को सड़क पर उतारने […]

II मनोज सिंह II
चार को दिल्ली में बैठक, निजी कंपनियों को कोयला खनन व बिक्री का अधिकार देने का विरोध
रांची : कोयला उद्योग में एक बार फिर हड़ताल के आसार दिख रहे हैं. भारत सरकार के आर्थिक मामलों के कैबिनेट के फैसले से यूनियनों में नाराजगी है. इस नाराजगी को सड़क पर उतारने के लिए चार मार्च को यूनियनों की बैठक दिल्ली में भारतीय मजदूर संघ के कार्यालय में होगी. बैठक में इंटक शामिल नहीं होगा. इंटक इस मुद्दे को लेकर अलग से आंदोलन चलायेगा.
यूनियनों की बैठक में ही आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जायेगी. भारत सरकार के आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने देश में कोयले के कॉमर्शियल माइनिंग की अनुशंसा की है.
मजदूर यूनियनों का मानना है कि इससे मजदूरों का शोषण होगा. कोल इंडिया बंद हो जायेगी. वर्तमान में कोल इंडिया में कोयले का उत्पादन लागत अधिक है. निजी कंपनियों के इस बाजार में उतर जाने से उनकी लागत कम हो जायेगी. इससे कोल इंडिया के कोयले की बिक्री नहीं होगी.
अभी केवल कोल इंडिया को है कोयला बेचने का अधिकार
देश में कोयला उत्पादन कर बेचने का अधिकार केवल कोल इंडिया के पास है. कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियां ही कोयला उत्पादन कर बेच सकती है. ऐसा कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद हुआ है. 1975 में भारत सरकार ने कानून बनाकर निजी कंपनियों से कोयला बिक्री का अधिकार अपने हाथों में ले लिया था. इसके बाद निजी कंपनियों को केवल अपने उपयोग के लिए ही कोयला उत्पादन का अधिकार मिला हुआ है.
पूर्व में आपत्ति नहीं की थी यूनियनों ने
केंद्र सरकार ने कोल माइंस (स्‍पेशल प्रोविजन) बिल-2014 का अध्‍यादेश लाया था. इसके विरोध में पांचों केंद्रीय कोयला संगठनों ने छह से 10 जनवरी 2015 तक हड़ताल की घोषणा की थी. इसके बाद केंद्रीय कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने श्रमिक नेताओं की सात जनवरी को बैठक बुलायी थी.
इसमें कोल माइंस (स्‍पेशल प्रोविजन) बिल-2014 अध्‍यादेश की पुन: घोषणा के साथ निजी कंपनियों को कॉमर्शियल कोल माइनिंग की अनुमति, कोल इंडिया में आगे विनिवेश और कोल इंडिया के किसी प्रकार का पुनर्गठन शामिल करने पर विचार हुआ था. इसमें कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी आरपी गुप्ता की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी. इसकी कई दौर की बैठक भी हुई. बाद में बैठक होनी बंद हो गयी.
यह कोल इंडिया को बंद करने की साजिश है. पूर्व में संयुक्त सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी में इन मुद्दों पर विचार करने का निर्णय हुआ था. अब इसे थोपने का प्रयास हो रहा है. इससे कोल इंडिया बंद हो जायेगी. निजी कंपनियां मजदूरों का शोषण करेंगी.
लखन लाल महतो, एटक
सड़क पर उतरने के बिना कोई उपाय नहीं है. यह मजदूरों के लिए जीवन-मरण का प्रश्न है. कोल इंडस्ट्री को बंद करने की इस साजिश का जोरदार विरोध होना चाहिए. यह पूरी रणनीति से लिया गया निर्णय है.
आरपी सिंह, सीटू
आंदोलन के सिवा इस मुद्दे का कोई रास्ता नहीं है. सड़क पर उतरना होगा. कोयला बेचने का अधिकार मिलने से कोल इंडिया बंद हो जायेगा. कोल इंडिया के मजदूर 1000-2000 रुपये प्रतिदिन पर काम कर रहे हैं. निजी कंपनियों के मजदूर 300-500 रुपये में काम करेंगे. मजदूरों का शोषण होगा.
राजेश सिंह, एचएमएस
वर्तमान कानून व्यापारियों के हितों में तैयार किया जा रहा है. इससे कर्मचारियों को नुकसान होगा. राष्ट्रीयकरण का उद्देश्य फेल हो जायेगा. इसके विरोध में आंदोलन तय होगा.
बिंदेश्वरी प्रसाद, बीएमएस
इंटक को इस अांदोलन पर भरोसा नहीं है. कब ये यूनियन आंदोलन से वापस हो जायेंगे, ठीक नहीं है. हम एक साल और नरेंद्र मोदी की सरकार को बर्दाश्त कर लेंगे. इस मुद्दे को लेकर अपना आंदोलन करेंगे. इसके लिए जल्द फेडरेशन की बैठक होगी.
राजेंद्र सिंह, इंटक
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel