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झारखंड : बागुन ने भी कुरमी को एसटी में शामिल करने को कहा था
रांची : पूर्व सांसद व झारखंड आंदोलनकारी शैलेंद्र महतो ने कांग्रेस नेता बागुन सुंब्रई, दुर्गा प्रसाद जामुदा और चित्रसेन सिंकू के उस बयान पर आपत्ति जतायी है, जिसमें कुड़मी को आदिवासी की सूची में शामिल करने का विरोध किया है. श्री महतो ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि कुड़मी-कुरमी आदिवासी […]
रांची : पूर्व सांसद व झारखंड आंदोलनकारी शैलेंद्र महतो ने कांग्रेस नेता बागुन सुंब्रई, दुर्गा प्रसाद जामुदा और चित्रसेन सिंकू के उस बयान पर आपत्ति जतायी है, जिसमें कुड़मी को आदिवासी की सूची में शामिल करने का विरोध किया है.
श्री महतो ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि कुड़मी-कुरमी आदिवासी हैं या नहीं. पार्टी ने अपनी स्थिति साफ नहीं की, तो शायद कांग्रेस पार्टी के ही इशारे पर उसके नेता विरोध कर रहे हैं. देश की आजादी से पहले कुड़मी जाति आदिवासी की पहचान रखते थे. सरकारी दस्तावेज और गजेटियर में एबोरीजिनल ट्राइब के रूप में पहचान रखते थे. पूर्व सांसद बागुन सुंब्रई ने मई 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री बूटा सिंह को पत्र लिख कर कुड़मी को एसटी में शामिल करने का अनुरोध किया था. श्री महतो ने कहा कि हम बागुन के पत्र का अनुकरण कर रहे हैं, हम कुछ नया नहीं मांग रहे हैं. बागुन वयोवृद्ध हो गये हैं.
हम केवल उन्हें याद दिला रहे हैं. वे हमारे राजनीतिक मार्गदर्शक रहे हैं. पूर्व सांसद श्री महतो ने कहा कि आदिवासीयत किसी की बपौती नहीं है. आदिवासी व कुड़मी समाज के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन शैली एक है. कुड़मी भी प्रकृति पूजक हैं. हमारे पूर्वज पहले आदिवासी रहे हैं. कुड़मी समाज सिर्फ अपनी अस्मिता और पहचान की लड़ाई लड़े रहे हैं.
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