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झारखंड : कुल संस्थागत प्रसव का 40 फीसदी अकेले एचएससी में!

रांची :राज्य के स्वास्थ्य उप केंद्रों (एचएससी) में होने वाले संस्थागत प्रसव (इंस्टीट्यूशनल डिलिवरी) में तेजी से वृद्धि हो रही है. हेल्थ मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम (एचएमआइएस) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 (सितंबर तक) में अकेले एचएससी में सरकारी अस्पतालों में होने वाले कुल संस्थागत प्रसव का 40.2 फीसदी प्रसव हुआ है. गत […]

रांची :राज्य के स्वास्थ्य उप केंद्रों (एचएससी) में होने वाले संस्थागत प्रसव (इंस्टीट्यूशनल डिलिवरी) में तेजी से वृद्धि हो रही है. हेल्थ मैनेजमेंट इंफॉरमेशन सिस्टम (एचएमआइएस) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 (सितंबर तक) में अकेले एचएससी में सरकारी अस्पतालों में होने वाले कुल संस्थागत प्रसव का 40.2 फीसदी प्रसव हुआ है. गत वर्ष यह 32.1 फीसदी था.
वहीं इससे पहले 21.9 फीसदी था. पर इस तेजी को खुद विभागीय अधिकारी ही फर्जी मान रहे हैं. माना जा रहा है कि मुख्य सचिव सहित विभाग के वरीय अधिकारियों के संस्थागत प्रसव बढ़ाने संबंधी दबाव का यह नतीजा है.
दरअसल केंद्र सरकार भी इस आंकड़े पर विश्वास नहीं कर रही है. हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी जब रांची आये थे, तो उन्होंने बैठक के दौरान टिप्पणी की थी कि जब एचएससी स्तर पर ही 40 फीसदी प्रसव हो रहा है, तब तो झारखंड को कुल संस्थागत प्रसव में केरल के बजाय देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य होना चाहिए था.
गौरतलब है कि केरल में संस्थागत प्रसव देश भर में सबसे अधिक करीब 78 फीसदी है. वहीं झारखंड में स्वास्थ्य उप केंद्र (एचएससी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), सब डिविजनल हॉस्पिटल (एसडीएच) तथा जिला अस्पतालों (डीएच) सहित निजी अस्पतालों को मिला कर करीब 72 फीसदी सांस्थिक प्रसव होता है. दरअसल एचएससी स्तर पर इतनी अधिक डिलिवरी होना ठीक भी नहीं है. सरकार एचएससी में 10 फीसदी से अधिक प्रसव कराने से मना करती है.
इसके पीछे तर्क यह है कि एचएससी में डिलिवरी के लिए बुनियादी सुविधाएं (सर्जन व उपकरण के संदर्भ में) कम रहती हैं. एेसे में क्रिटिकल डिलिवरी के केस में मामला फंस सकता है, जो जच्चा व बच्चा के लिए खतरा है. इसलिए प्रसव के लिए पीएचसी, सीएचसी, एसडीएच व जिला अस्पतालों काे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है तथा इन्हें ही प्राथमिकता दी जाती है.
एचएससी में लगातार बढ़ता प्रसव (प्रतिशत में)
वित्तीय वर्ष एचएससी पीएचसी सीएचसी एसडीएच डीएच
2014-15 21.7 7.6 43.9 7.3 19.4
2015-16 21.9 8.1 42.2 8.0 19.7
2016-17 32.1 8.8 35.6 7.5 16.1
2017-18 40.2 8.6 28.8 7.0 16.5

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