गौरतलब है कि राज्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में 2017 में समाप्त हो रहे सत्र के करीब 40 फीसदी विद्यार्थियों का प्लेसमेंट नहीं हुआ था. देश भर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में कमोबेश एेसी ही मंदी रही. जानकारों के अनुसार, नवंबर में घोषित विमुद्रीकरण (डिमोनेटाइजेशन) तथा अमेरिका में एशियाई व अन्य मूल के लोगों के लिए बने या बनाये गये असुरक्षा के माहौल का भी इसमें बड़ा रोल था. बीआइटी के एक प्रोफेसर भी इससे इत्तफाक रखते हैं, पर इस बार अगस्त माह में ही पीपीअो की शुरुआत अच्छा संकेत है.
उधर, आइआइटी में भी माहौल सुधरा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अाइआइटी रूड़की में गत वर्ष अगस्त माह में 39 के मुकाबले इस बार 72, खड़गपुर में 70 के मुकाबले 118 व गुवाहाटी में 45 के मुकाबले 60 पीपीअो मिले हैं. यह 33 फीसदी से लेकर 85 फीसदी तक का इजाफा है. ज्यादातर पीपीअो फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) व टेक्नोलाॅजी सेक्टर से हैं. इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, एमेजॉन, जेएसडब्ल्यू स्टील, स्लंबजर, अाइटीसी, टेक्सास, सैमसंग व कॉल कॉम जैसी कंपनियां शामिल हैं.