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जांच में नहीं मिली थी लॉटरी में कोई भी गड़बड़ी
रांची: आवास बोर्ड द्वारा लॉटरी से जमीन और फ्लैट आवंटित करने में अनियमितता बरतने की पुष्टि नहीं हुई थी. मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनायी गयी थी. जांच के बाद समिति ने यह स्पष्ट किया था कि आवंटन में किसी को भी गलत तरीके से लाभ मिलने की पुष्टि नहीं हुई है. […]
रांची: आवास बोर्ड द्वारा लॉटरी से जमीन और फ्लैट आवंटित करने में अनियमितता बरतने की पुष्टि नहीं हुई थी. मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनायी गयी थी. जांच के बाद समिति ने यह स्पष्ट किया था कि आवंटन में किसी को भी गलत तरीके से लाभ मिलने की पुष्टि नहीं हुई है. समिति ने लिखा था कि लॉटरी की प्रक्रिया प्रबंध निदेशक की उपस्थिति में हुई थी. इस दौरान वीडियोग्राफी भी करायी गयी थी. इससे स्पष्ट होता है कि पूरी लॉटरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गयी है.
तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने भी जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर आवंटियों को जमीन-फ्लैट में कब्जा दिलाने के लिए लिखा था. उन्होंने आवास विभाग के सचिव को पत्र लिख कर कहा था कि जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में किसी भी प्रकार की अनियमितता होने की बात को खारिज किया था और लॉटरी को क्लीन चिट दी थी. ऐसे में आवंटियों को दखल कब्जा दिलाया जाये. तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सह विभागीय मंत्री हेमंत सोरेन ने भी लिखा था कि जांच में गलत तरीके से लॉटरी करने की पुष्टि नहीं हुई है. लॉटरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गयी है. ऐसे में लॉटरी के आलोक में ही आगे की कार्रवाई करने को लिखा था.
क्या है मामला : आवास बोर्ड ने वर्ष 2011 में लॉटरी के माध्यम से हरमू, बरियातू और अरगोड़ा हाउसिंग कॉलोनी में जमीन व फ्लैट का आवंटन किया था. लोगों ने पैसा जमा कर जमीन और फ्लैट ले लिये थे. बाद में आवास विभाग ने इसमें अनियमितता की बात कह कर लॉटरी को रद्द कर दिया. फिर लोग हाइकोर्ट गये. उच्च न्यायालय ने आवंटन रद्द करने को नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध बताया. साथ ही कहा कि रद्द करने के पहले आवंटियों का पक्ष भी नहीं लिया गया. इसके बाद बोर्ड ने कई आवंटियों को नोटिस कर पक्ष मांगा है. मामला यहीं पर अटका हुआ है.
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