इन दोनों अधिनियम को राज्यपाल अपनी मंजूरी न दे़ं कांग्रेसी नेताओं ने राज्यपाल को बताया कि भूमि अधिग्रहण विधेयक में क्षेत्र के सामाजिक प्रभाव का आकलन काफी महत्वपूर्ण है़ इसकी अनिवार्यता समाप्त होने से लोगों के अधिकारों का हनन होगा़ इस कानून को जनवरी 2014 से प्रभावी किये जाने के प्रस्ताव से यह प्रतीत होता है कि किसी खास लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है़.
धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 का विरोध करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 में प्रदत्त मौलिक अधिकार की भावना पर अघात हो रहा है़ राज्यपाल से मुलाकात के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा कि विधानसभा में पारित झारखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2017 और भूमि अधिग्रहण सामाजिक प्रभाव के आकलन की अनिवार्यता को समाप्त किया जाना को राज्य हित में नहीं है़ सरकार धर्म की राजनीति कर रही है, जबकि सरकार को राजनीतिक धर्म का निर्वहन करना चाहिए़