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ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी का फैसला – फिलहाल CNT/SPT एक्ट में कोई संशोधन नहीं

रांची: ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी की बैठक में आज महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है. बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि फिलहाल सीएनटी/ एसपीटी एक्ट में कोई संशोधन नहीं किया जायेगा. बताया जा रहा है कि टीएसी के सदस्यों ने संशोधन का विरोध किया है. दो पाली में हुए आज बैठक के बाद आज […]

रांची: ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी की बैठक में आज महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है. बैठक में इस बात पर सहमति बनी है कि फिलहाल सीएनटी/ एसपीटी एक्ट में कोई संशोधन नहीं किया जायेगा. बताया जा रहा है कि टीएसी के सदस्यों ने संशोधन का विरोध किया है. दो पाली में हुए आज बैठक के बाद आज यह बात निकलकर सामने आयी कि सीएनटी – एसपीटी एक्ट में फिलहाल कोई संशोधन नहीं किया जायेगा. गौरतलब है कि इससे पहले तीन जुलाई को टीएसी की बैठक हुई थी.

कई सामाजिक संगठनों ने किया था विरोध

सीएनटी -एसपीटी एक्ट को लेकर कई सामाजिक संगठनों ने विरोध किया था. विपक्षी और सामाजिक संगठनों के विरोध के बाद राज्यपाल ने भी संशोधन से संबंधित फाइलें वापस लौटा दी. सरकार ने सीएनटी की धारा 21 व एसपीटी की धारा 13 में किये गये उस संशोधन को पहले ही निरस्त कर दिया है, जिसमें कृषि भूमि की प्रकृति बदलने का प्रस्ताव था.

टीएसी की पिछली बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सरकार की भावना से सदस्यों को अवगत करा दिया था. इसके बाद सीएनटी की धारा 21 व एसपीटी की धारा 13 में किये गये संशोधन को कैबिनेट से भी निरस्त कर दिया गया. पिछली बैठक में टीएसी सदस्यों ने संशोधन प्रस्ताव के अध्ययन के लिए एक माह का समय मांगा था. कहा गया था कि राज्यपाल की ओर से संशोधन प्रस्ताव वापस किया गया है. इसमें विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों की ओर से सुझाव दिया गया है. इन सुझावों पर अध्ययन करना जरूरी है.

क्या है संशोधन का प्रस्ताव : संशोधन के बाद पूर्व की शर्तों के अतिरिक्त रेखीय परियोजनाओं यथा सड़क, केनाल, रेलवे, केबुल, ट्रांसमिशन, वाटर पाइप्स के लिए रैयती भूमि का हस्तांतरण किया जा सकता है. जनोपयोगी सेवा यथा पाइपलाइंस, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, पंचायत भवन, अस्पताल, आंगनबाड़ी के लिए भी रैयती भूमि का हस्तांतरण किया जा सकता है. हस्तांतरण के बाद यदि भूमि का उपयोग परियोजना के लिए पांच वर्षों के अंदर नहीं किया जाता है, तो वह भूमि पुन: बिना कोई मुआवजा वापस किये पूर्व रैयतों को वापस हो जायेगी.

सीएनटी एक्ट की धारा 71 ए में संशोधन

वर्तमान प्रावधान : सीएनटी एक्ट की धारा 71 में पूर्व से प्रावधान है कि अनुसूचित जनजाति की भूमि के अवैध हस्तांतरण की वापसी एसएआर कोर्ट के माध्यम से की जाती है. धारा 71 (1) के द्वितीय प्रावधान के तहत अनुसूचित जनजाति की भूमि गैर अनुसूचित जनजाति को हस्तांतरित करने के एवज में क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान है.

क्या है संशोधन का प्रावधान : संशोधन के बाद एसएआर कोर्ट के माध्यम से अनुसूचित जनजाति की अवैध हस्तांतरण भूमि की वापसी का प्रावधान रहेगा. परंतु द्वितीय व तृतीय परंतुक विलोपित कर दिया जायेगा, जिससे मुआवजा देकर भूमि को अपने पास रखने का विकल्प समाप्त हो जायेगा.

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