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कुड़ुख भाषा के विकास के लिए अलग विभाग जरूरी : शिवशंकर

आयोजन. कुड़ुख भाषा के विकास में राजनीतिक भूमिका पर सेमिनार रांची : विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि कुड़ुख भाषा के विकास के लिए इसका अलग विभाग होना जरूरी है़ जनजातीय भाषाओं में सबसे अधिक विद्यार्थी कुड़ुख भाषा के हैं, पर इसके सिर्फ एक शिक्षक है़ स्वतंत्र विभाग होने से पठन-पाठन के लिए बेहतर माहौल […]

आयोजन. कुड़ुख भाषा के विकास में राजनीतिक भूमिका पर सेमिनार
रांची : विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि कुड़ुख भाषा के विकास के लिए इसका अलग विभाग होना जरूरी है़ जनजातीय भाषाओं में सबसे अधिक विद्यार्थी कुड़ुख भाषा के हैं, पर इसके सिर्फ एक शिक्षक है़ स्वतंत्र विभाग होने से पठन-पाठन के लिए बेहतर माहौल व संसाधन मिलेगा. इससे कुड़ुख भाषा के विकास में मदद मिलेगी़ श्री उरांव झारखंड कुड़ुख भाषा विकास छात्र संघ और रांची विवि पीजी विभाग छात्र संघ द्वारा कुड़ुख भाषा के विकास में राजनीतिक भूमिका पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे़ कार्यक्रम का आयोजन सेंट्रल लाइब्रेरी सभागार में किया गया था़
प्राे दुखा भगत ने कहा कि कुड़ुख लोगों को उरांव शब्द से बचने की जरूरत है, इसकी जगह अपने गोत्र का प्रयोग करे़ प्रो नारायण भगत ने कहा कि बीएड में भाषावार आरक्षण मिले, प्लस-टू में पद सृजन होना चाहिए. मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि हमारी धुमकुड़िया की परंपरा लुप्त हो रही है़
युवा पारंपरिक नृत्य व गान से दूर हो रहे है़ डॉ निर्मल मिंज ने कहा कि कुड़ुख भाषा की पढ़ायी प्राथमिक से विश्वविद्यालय स्तर सुनिश्चित की जाये़ पद सृजन भी होना चाहिए़ इस दौरान ‘धुमकुड़िया : शब्द क्रांति बक्कहुही’ का लोकार्पण किया गया. मौके पर महादेव टोप्पो, डॉ शांति खालखो, प्राे रामकिशोर भगत, प्रो जलेश्वर भगत, उपेंद्र नारायण उरांव, डॉ हरि उरांव, सुशील उरांव व अन्य ने भी विचार रखे़
हमारी भाषाओं का निरादर होता रहा है : पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि हमारी भाषाओं का निरादर होता रहा है़ जब मैथली, मगही, भोजपुरी, बांग्ला व उड़िया को द्वितीय राजभाषा बनाने की मांग हुई थी, तब उन्होंने विरोध किया था़ जनप्रतिनिधियों को पार्टी से ऊपर उठ कर स्थानीय भाषाओं के हित की बात करनी चाहिए़ जब तक हम एकजुट नहीं होंगे, तब तक समस्याएं बनी रहेंगी़ कुड़ुख की अपनी लिपि है, इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिलना चाहिए़
नियुक्ति परीक्षाओं में कुड़ुख को करें शामिल
सेमिनार के दौरान कुड़ख भाषा को जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग से अलग कर स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापित करने, प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च विद्यालयों, कॉलेजों व बीएड कॉलेजों में कुड़ुख भाषा की पढ़ायी सुनिश्चित करने, इन सभी शिक्षण संस्थानों में पद सृजन, कुड़ुख को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने, राज्य की सभी नियुक्ति परीक्षाओं में जनजातीय भाषाओं को परीक्षा में शामिल करने व इसमें उत्तीर्ण होने को अनिवार्य करने की मांग की गयी़

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