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जानिये, क्यों मुख्य सचिव राजबाला वर्मा समेत अन्य अफसरों को टीएसी की बैठक से बाहर निकाला गया

रांची : ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की बैठक सोमवार को हंगामे के साथ शुरू हुई. टीएसी की बैठक में पहली बार सत्ता पक्ष के विधायक भी मुखर रहे़ बैठक शुरू होते ही नियमावली सहित एजेंडा देर से मिलने का मामला उठाया गया. टीएसी सदस्यों का कहना था कि एजेंडा देर से मिला है, ऐसे में […]

रांची : ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की बैठक सोमवार को हंगामे के साथ शुरू हुई. टीएसी की बैठक में पहली बार सत्ता पक्ष के विधायक भी मुखर रहे़ बैठक शुरू होते ही नियमावली सहित एजेंडा देर से मिलने का मामला उठाया गया. टीएसी सदस्यों का कहना था कि एजेंडा देर से मिला है, ऐसे में आज की बैठक रद्द कर एक सप्ताह बाद बैठक बुलाये़ं सदस्य उठ कर जाने लगे. हालांकि मुख्यमंत्री रघुवर दास के अनुरोध के बाद सदस्य बैठक करने पर सहमत हुए़ बैठक में विधायक शिवशंकर उरांव की ओर से आपत्ति जताने के बाद सीएस समेत सभी अधिकारी बैठक से निकल गये.

बैठक की कार्यवाही पिछली बैठक में लिये गये फैसले को संपुष्ट करने के एजेंडे से शुरू हुई़ बीच में ही सदस्यों ने यह मांग रखी कि एजेंडा बैठक से 15 दिन पहले मिलना चाहिए, ताकि सदस्य उसका अध्ययन कर कर बैठक में अपनी स्पष्ट राय रख सके़ं सदस्यों ने कहा कि यह आखिरी मौका है, जब एजेंडा मिलने के साथ ही सदस्य बैठक के लिए तैयार हुए है़ं आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए़
सत्ता पक्ष के विधायक ताला मरांडी ने टीएसी की नियमावली का सवाल उठाया. विपक्ष के विधायक व टीएसी सदस्य सुखदेव भगत का भी कहना था कि वे नये सदस्य हैं, पहले नियमावली दी जाये़ ताला मरांडी का कहना था कि बार-बार मांगे जाने के बावजूद नियमावली नहीं मिल रही है़ नियमावली है या नहीं, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है़ अगर नियमावली नहीं है, तो बैठक की कार्यवाही कैसे होगी़ इस सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कल्याण विभाग के पास नियमावली है़ सरकार ने नियमावली बना ली है़
मुख्यमंत्री के निर्देश पर कल्याण सचिव हिमानी पांडेय ने नियमावली के प्रावधानों को पढ़ कर सुनाया़ इस पर सत्ता पक्ष के विधायक शिवशंकर उरांव ने सवाल उठाया कि जब नियमावली में अधिकारियों के बैठने का प्रावधान नहीं है, तो यहां अधिकारी क्यों है़ं इसके बाद मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, सीएम के प्रधान सचिव संजय कुमार, कार्मिक सचिव निधि खरे, भू राजस्व सचिव केके सोन सहित अन्य अधिकारी बैठक से बाहर निकल गये़.

थोड़ी देर बाद पिछली बैठक की कार्यवाही संपुष्ट करने की प्रक्रिया के दौरान कार्मिक सचिव को फिर से बुलाया गया, क्योंकि उसमें स्थानीयता का मुद्दा शामिल था़ इसके बाद तय हुआ कि एजेंडे में जिस विभाग का मामला होगा, उसके सचिव को बुलाया जायेगा़ चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के ही कुछ विधायकों का कहना था कि सरकार इस मामले को लेकर जल्दी में क्यों है़ इस पर चर्चा होनी चाहिए़
इस पर मुख्यमंत्री का कहना था कि यह राज्यहित का मामला है़ राज्यपाल ने इस पर सरकार से जवाब मांगा है, इसलिए सरकार चाहती है कि जो भी आपत्तियां राजभवन को मिली हैं, उन आपत्तियों का जल्द समाधान हो जाये़ इधर, विपक्ष के विधायक सुखदेव भगत का कहना था कि सरकार को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए़ राजभवन की ओर से मिली आपत्तियों को अध्ययन करने का समय मिलना चाहिए़ इस समय तुरंत इस पर चर्चा नहीं हो सकती है़ कम से कम इस पर 15 दिन का समय मिलना चाहिए़ टीएसी की बैठक दुबारा बुलायी जाये़ सत्ता पक्ष के सदस्य भी इस राय से सहमत थे़.
रिकॉर्ड से बाहर करने का प्रावधान हो : टीएसी सदस्य शिवशंकर उरांव का कहना था कि विधानसभा में जिस तरह स्पीकर विधायकों की कुछ बातों को रिकॉर्ड से बाहर कर देते है़ं इस तरह का प्रावधान टीएसी की बैठक में भी होना चाहिए.
प्रकृति में बदलाव नहीं करने पर सभी थे सहमत : टीएसी के सदस्य सीएनटी-एसपीटी एक्ट के उस संशोधन को खारिज करने के पक्ष में थे, जिसमें जमीन की प्रकृति बदलने की बात कही गयी थी़ सारे सदस्यों का कहना था कि इसमें कोई बदलाव न हो़ मुख्यमंत्री ने भी सदस्यों को बताया कि सरकार भी इसके लिए तैयार है़ इस प्रस्ताव को वापस ले लिया जायेगा़ सीएनटी की धारा 49 पर चर्चा के लिए सदस्यों ने समय मांगा़ सदस्यों का कहना था कि इस पर सोच-विचार कर फैसला होना चाहिए़

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