सेकेंड इनिंग फोटो फाइल 24आर-13-बसंत हेतमसरिया. फोटो फाइल 22आर-14- डॉ बीएन ओहदार, फोटो फाइल 24आर-15- डॉ गजाधर महतो, फोटो फाइल 24आर-16- पास्टर अजहर मसीह. जिले के कई वरिष्ठ नागरिक समाज में आदर्श की मिसाल कायम कर रहे हैं. 60 वर्ष की उम्र से पहले सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों में काफी सक्रियता के साथ दिनचर्या बिताया. 60 वर्ष के बाद इन वरिष्ठ नागरिकों के कार्याें को वर्तमान समय में देखने के बाद आप कह सकते हैं. बुजुर्ग होने पर भी खुद को स्वस्थ रहकर मुकाम तक पहुंच रहे हैं. लेखनी, पिस्टल शूटिंग व शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगा रहे हैं. रामगढ़ जिले के ऐसे चार शख्सियत बढ़ती उम्र पर भारी पड़ रहे हैं. सलाउद्दीन उम्र पर भारी बसंत हेतमसरिया के लेखन व शूटिंग की उपलब्धि बसंत हेतमसरिया (70 वर्ष) ने लेखन व पिस्टल शूटिंग में अलग पहचान बनायी है. उम्र पर भारी पड़ रहा है लेखन व शूटिंग का कार्य. कई संस्थानों की स्थापना की. बसंत हेतमसरिया मैकेनिकल इंजीनियर होकर सामाजिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. पिछले साल 2024 में 10 मीटर पिस्टल शूटिंग के सीनियर मास्टर्स ग्रुप में झारखंड स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल व पूर्वी क्षेत्र चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता है. इन्होंने दो पुस्तकें ‘झारखंड के चमकते सितारे’ और रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन और समझौता विरोधी सम्मेलन पर ‘1940 विश्वयुद्ध और बढ़ते अलगाव के साये में स्वतंत्रता आंदोलन’ प्रकाशित हुआ है. ‘आकाशदीप’ त्रैमासिक लघुपत्र का वर्षों संपादन व प्रकाशन किया. इन्हीं अनुभवों के आधार पर अभी भी इस क्षेत्र में काफी सकिय हैं. खोरठा क्षेत्रीय भाषा व जंगल बचाने में युवाओं के साथ सक्रिय रामगढ़. डॉ बीएन ओहदार 73 वर्षीय चेटर गांव निवासी युवाओं के बीच क्षेत्रीय भाषा की रूचि बढ़ा रहे हैं. जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग रांची विश्वविद्यालय में खोरठा भाषा के व्याख्याता से 2017 में सेवानिवृत्त हुए हैं. इसके बाद पुस्तक लेखन, स्वंतत्र लेखन, वन बचाव अभियान से जुडकर वन की रक्षा कर रहे हैं. झारखंड ओपेन विश्वविद्यालय रांची, जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग विश्वविद्यालय हजारीबाग व जंगल बचाव अभियान के केद्रीय वन सुरक्षा समिति में महासचिव के रूप में कार्य कर रहे हैं. उनके अंदर विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य के प्रति गहरी रूचि रही है. यह रूचि समय के साथ-साथ बढने लगा. खोरठा रत्न सम्मान 1993 सहित कई सम्मान से सम्मानित किये गये हैं. ये खाेरठा साहित्य संस्कृति परिषद के झारखंड के अध्यक्ष भी हैं. इसके साथ ही रामगढ़ व बोकारो जिला के 300 से अधिक वन क्षेत्रों में वन सुरक्षा समिति के गठन में इनका भूमिका रहा है. इस उम्र में भी पूरी सक्रियता से लेखन व अध्यापन और जंगल बचाने का कार्य कर रहे हैं. अवैतनिक पद पर रहकर शिक्षा का अलख जगा रहे हैं डॉ गजाधर महतो प्रभाकर महात्मा गांधी उच्च विद्यालय देवरिया भुरकुंडा से 2012 में सेवानिवृत्त हुए. इसके बाद बिरसा मुंडा इंटर कॉलेज में अवैतनिक प्राचार्य के पद पर कार्य कर क्षेत्रीय भाषा की शिक्षा को बढ़ा रहे हैं. खोरठा व हिंदी विषय में छात्रों के उपयोगी किताब लिखा. प्रतियोगिता परीक्षाओं में खोरठा भाषा का गाइड बुक है. जैक द्वारा आयोजित आठवीं कक्षा से इंटर तक तथा विनोवा भावे विश्वविद्यालय स्नातक कक्षा खोरठा प्रतिष्ठा के सभी सेमेस्टर के लिये पुस्तक भी उपयोगी हो गया है. इस उम्र में भी इनके जोश व जज्बा की सराहना हर स्तर पर हो रहा है. दिव्यांग व अनाथ को शिक्षा से जोड़ा है पास्टर अजहर मसीह पास्टर अजहर मसीह 86 वर्ष रामगढ़ छावनी परिषद के वार्ड नंबर सात के उपर पोचरा निवासी हैं. पास्टर मसीह वर्ष 1999 में सीसीएल के केंद्रीय कर्मशाला के इलेक्ट्रिक शॉप से फोरमेन के पद से सेवानिवृत्त हुये. क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगा रहे है. पोचरा में ही आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे हैं. शिक्षा के अलख जगाने का जुनून पास्टर मसीह को पतरातू प्रखंड के सूदूरवर्ती गांव निम्मी पहुंचाया. जहां के लोगों को शिक्षित बनाने का बीड़ा उठाया.
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