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छपरा में मारा गया कोयलांचल का कुख्यात अपराधी अमरेंद्र तिवारी

रामगढ़/छपरा : रामगढ़, हजारीबाग काेयलांचल और रांची का आतंक अमरेंद्र तिवारी रविवार को छपरा में मारा गया. अपराधियों ने सारण जिले के छपरा रसूलपुर थाना अंतर्गत घूरापाली गांव स्थित घर के बाहर ही उसे गोली मार दी. अपराधियों ने उसके सिर के बीचों बीच गोली मारी, जिससे घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गयी. यह […]

रामगढ़/छपरा : रामगढ़, हजारीबाग काेयलांचल और रांची का आतंक अमरेंद्र तिवारी रविवार को छपरा में मारा गया. अपराधियों ने सारण जिले के छपरा रसूलपुर थाना अंतर्गत घूरापाली गांव स्थित घर के बाहर ही उसे गोली मार दी.
अपराधियों ने उसके सिर के बीचों बीच गोली मारी, जिससे घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गयी. यह घटना सुबह करीब आठ बजे की है. तब अमरेंद्र दाढ़ी बनवा कर स्नान करने जा रहा था. ठीक उसी वक्त दो अपराधी बाइक से उसके घर पहुंचे. अपराधियों ने उसके दरवाजे पर खड़े एक व्यक्ति से पूछा कि क्या बाबा घर में हैं. वह व्यक्ति हां कह कर अमरेंद्र को बुलाने चला गया. जैसे ही अमरेंद्र घर से बाहर निकला, अपराधियों ने बेहद नजदीक से गोली मार दी.
गोली मारने के बाद अपराधी फायरिंग करते हुए भाग निकले. अमरेंद्र की हत्या की यह खबर कोयलांचल क्षेत्र में भी पहुंचते देर न लगी. यह वही अमरेंद्र तिवारी है, जो इन दिनों सुशील श्रीवास्तव गैंग को अपने बूते पर चला रहा था. इसके कारण वह कोयलांचल में सक्रिय पांडेय गिरोह की आंखों की किरकिरी बना हुआ था
ऐसे में उसकी हत्या के बाद क्षेत्र की पुलिस भी दिन भर हाई अलर्ट पर रही.पुलिस कस्टडी में भोला पांडेय की हत्या के बाद हुआ था चर्चित : अमरेंद्र तिवारी का नाम पहली बार गौतम सिंह हत्याकांड में आया था. शार्प शूटर गौतम सिंह यूपी का रहने वाला था. शुरुआत में वह सुशील श्रीवास्तव गैंग से जुड़ा था, लेकिन बाद में पांडेय गिरोह का करीबी बन गया था. इसी कारण अक्तूबर 2008 में अमरेंद्र ने भुरकुंडा रिवर साइड स्थित मयूर स्टेडियम में उसकी हत्या कर दी थी.
इसके बाद पुलिस कस्टडी में पांडेय गिरोह के मुख्य सरगना भोला पांडेय की हत्या करने के बाद अमरेंद्र पूरी तरह चर्चित हो गया था. जामताड़ा के मिहिजाम में 2009 में उसने भोला पांडेय की हत्या उस वक्त कर दी थी, जब भोला पांडेय को पेशी के लिए दुमका जेल से रांची लाया जा रहा था. इस घटना को अमरेंद्र ने हजारीबाग जेल में बंद सुशील श्रीवास्तव के इशारे पर अंजाम दिया था.
बड़े भाई की रांची में हुई थी हत्या
भोला पांडेय व सुशील श्रीवास्तव में वर्चस्व को लेकर लंबे समय से अदावत जारी थी. हालांकि भोला पांडेय की हत्या की कीमत अमरेंद्र को अपने बड़े भाई धर्मेंद्र तिवारी को खो कर चुकानी पड़ी. पांडेय गिरोह के शूटरों ने तब रांची के मौसीबाड़ी चौक पर ग्रील-शटर की दुकान चलाने वाले उसके बड़े भाई धर्मेंद्र तिवारी की गोली मार कर हत्या कर दी थी. अपराधी अमरेंद्र को ही मारने आये थे, लेकिन दोनों भाइयों की कद-काठी व सूरत लगभग एक-सी होने के कारण धर्मेंद्र को मार दिया था.
भाई की हत्या के बाद बदला था ठिकाना
बड़े भाई की हत्या के बाद अमरेंद्र ने अपना ठिकाना बदल दिया था. वह रांची छोड़कर बिहार में रहने लगा था. वहां भी वह अपना ठिकाना बदलते रहता था. सिर्फ आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए ही वह झारखंड आता था. खासकर रामगढ़ में लगातार घटनाओं को अंजाम देकर उसने पुलिस की नाक में दम कर दिया था.
इसके बाद 2012 में रामगढ़ पुलिस ने उसे उसके गांव से जाल बिछाकर पकड़ा था. हाल ही में वह जेल से छूटा था. इसके बाद आपराधिक घटनाओं में वह फिर से जुड़ गया था. कई जगहों पर वह पांडेय गिरोह के वर्चस्व को लगातार चुनौती दे रहा था. इस बात से पांडेय गिरोह के लोग उसे निशाने पर रखे हुए थे.
गौतम सिंह से जुड़ा है हत्या का तार
अमरेंद्र तिवारी की हत्या किसने की, इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. उसकी हत्या में सुमन सिंह का नाम आ रहा है. बताया जाता है कि सुमन सिंह, गौतम सिंह का भाई है. अमरेंद्र ने 2008 में गौतम सिंह की हत्या की थी. उसी वक्त से सुमन सिंह अमरेंद्र तिवारी से बदला लेने की फिराक में था. बताया जाता है कि सुमन इसके लिए पांडेय गिरोह से काफी पहले हाथ मिला चुका था.
जब अमरेंद्र जेल से छूटा, तो एक बार फिर बदले की भावना से सुमन व पांडेय गिरोह हत्या का अवसर तलाशने लगे. दूसरी ओर, अमरेंद्र पांडेय गिरोह के नजदीकी लोगों को निशाना बनाने में एक बार फिर जुट गया था. कुछ महीने पूर्व बरका-सयाल कोयलांचल में हुई एक हत्या में भी अमरेंद्र का नाम आया था. पुलिस भी उस हत्याकांड में अमरेंद्र को तलाश रही थी. इसी बीच रविवार को अमरेंद्र की हत्या कर दी गयी.
लंबे समय से तलाश में थी झारखंड पुलिस
पुलिस सूत्रों के अनुसार अमरेंद्र के खिलाफ झारखंड के विभिन्न थानों में हत्या, लूट, आर्म्स एक्ट, अपहरण व रंगदारी के दर्जनों मामले लंबित थे, जिनमें वह वर्षों से फरार चल रहा था. अमरेंद्र के खिलाफ दर्ज मामलों में रामगढ़ थाने में कांड संख्या 225/13, बोकारो 104/09, रांची के आेरमांझी में 52/12, पतरातू 230/13, 129/08, 101/08, 230/13, भुरकुंडा में 104/09, बोकारो सेक्टर -4 में 164/13 समेत कई मामले दर्ज हैं. इन मामलों में अमरेंद्र के पैतृक गांव रसूलपुर थाने के घुरापाली गांव में कुर्की-जब्ती भी पुलिस कर चुकी है.
एकमा से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में था अमरेंद्र
झारखंड से फरार चल रहा अमरेंद्र एकमा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की भी तैयारी में था, जिसे लेकर अपना साम्राज्य यहीं स्थापित करने में लगा था. वह अपने निवास पर रोजाना चहेतों के साथ बैठक करता था. हालांकि सारण के किसी भी थाने में अमरेंद्र के खिलाफ कोई भी मामला दर्ज नहीं है. इस कारण वह विगत छह महीनों से पैतृक गांव घुरापाली में ही रह रहा था.

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