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Mob Lynching In Jharkhand : अलीमुद्दीन हत्याकांड में 11 नामजद आरोपी दोषी करार, 21 मार्च को सजा

भीड़ द्वारा किसी की हत्या किये जाने के मामले में पूरे देश में पहला फैसला सुनाया गया. 29 जून 2017 को अलीमुद्दीन की भीड़ द्वारा पीट कर हत्या कर दी गयी थी. 22 सितंबर 2017 को गठित फास्ट ट्रेक कोर्ट ने छह महीने के अंदर सुनायी सजा. रामगढ़ : देश भर में चर्चित भीड़ द्वारा […]

भीड़ द्वारा किसी की हत्या किये जाने के मामले में पूरे देश में पहला फैसला सुनाया गया.

29 जून 2017 को अलीमुद्दीन की भीड़ द्वारा पीट कर हत्या कर दी गयी थी.

22 सितंबर 2017 को गठित फास्ट ट्रेक कोर्ट ने छह महीने के अंदर सुनायी सजा.

रामगढ़ : देश भर में चर्चित भीड़ द्वारा पीट कर मारे गये अलीमुद्दीन हत्याकांड में शुक्रवार को रामगढ़ न्यायालय फास्ट ट्रेक कोर्ट ने अंतिम सुनवाई करते हुये मामले में सभी नामजद 11 आरोपियों को दोषी करार दिया. न्यायालय द्वारा सभी 11 आरोपियों को घटना के लिए दोषी माना है तथा तीन आरोपियों को मुख्य अभियुक्त करार दिया है. अरोपियों को 21 मार्च को सजा सुनायी जायेगी.

इस हत्याकांड के मामले में दोषी करार दिये गये सभी 11 आरोपी जेल में हैं. जिसकी पेशी शुक्रवार को न्यायालय में की गयी थी. जिन 11 आरोपियों को सजा सुनाया गया है. उनमें दीपक मिश्रा, छोटू वर्मा व संतोष सिंह को न्यायालय ने मुख्य अभियुक्त माना है तथा अन्य धाराओं के साथ 120 बी के तहत दोषी करार दिया है. इनके अलावा नित्यानंद महतो, विक्की साव, सिकंदर राम, कपिल ठाकुर, रोहित ठाकुर, राजू कुमार, विक्रम प्रसाद व उत्तम राम शामिल हैं.

29 जून 2017 को हुई थी हत्याकांड

हेसला निवासी अलीमुद्दीन 29 जून 2017 को सुबह 10 बजे प्रतिबंधित मांस लेकर अपने मारुति वैन से चितरपुर की ओर से आ रहा था. इसी क्रम में बाजार टांड़ स्थित हिंदुस्तान गैस एजेंसी के पास आरोपी व अन्य लोगों द्वारा अलीमुद्दीन को पकड़ा गया तथा भीड़ द्वारा अलीमुद्दीन की पिटाई करने के बाद उसके मारुति वैन में आग लगा दी गयी थी.

इलाज के लिए रांची ले जाने के क्रम में उसकी मौत हो गयी थी. इस मामले में अलीमुद्दीन की पत्नी मरियम खातून द्वारा नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. उच्चतम न्यायालय द्वारा इस मामले प्रतिदिन सुनवाई के लिए एडीजे द्वितीय आरबी पाल के न्यायालय में फास्ट ट्रेक कोर्ट का गठन किया गया तथा इस मामले की निगरानी उच्च न्यायालय द्वारा की गयी.

फास्ट ट्रेक कोर्ट का गठन 22 सितंबर 2917 से फास्ट ट्रेक कोर्ट ने कार्य करना प्रारंभ किया. इस मामले की अनुसंधान कर्ता एसआई विद्यावति ओहदार द्वारा 17 सितंबर 2017 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था. 22 सितंबर 2017 को न्यायालय द्वारा आरोप का गठन किया गया तथा 20 दिसंबर 2017 को आरोपियों का बयान कोर्ट में दर्ज किया गया.

अभियोजन पक्ष द्वारा 19 गवाह प्रस्तुत किये गये. जबकी बचाव पक्ष द्वारा एक गवाह प्रस्तुत किया गया. अभियोजन पक्ष द्वारा 59 दस्तावेज व 20 वस्तुतो को कोर्ट में रखा गया. इसके अलावा रामगढ़ सीओ द्वारा तैयार किये गये सीडी की जांच केंद्रीय प्रयोगशाला चंडीगढ़ से करा कर साक्ष्य के रूप में न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. दोनो पक्षों की ओर से बहस पांच मार्च 2918 को पूरी हुई. इस मामले की प्राथमिक रामगढ़ थाना कांड संख्या 198/17 दर्ज की गयी थी. सरकार की ओर से अवर लोक अभियोजक एसके शुक्ला ने बहस की थी.

जिन धाराओं के तहत अभियुक्त दोषी करार दिये गये

न्यायालय द्वारा सभी 11 आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 427/149, 435/149, 302/149 के तहत दोषी करार दिया है. जबकि दीपक मिश्रा, छोटू वर्मा व संतोष सिंह को इन धाराओं के अलावा 120बी के तहत भी दोषी करार दिया गया है.

इसी मामले के एक अन्य आरोपी छोटू राणा को कम उम्र के होने के कारण उसका मामला जुबनाइल जस्टिस बोर्ड को भेजा जा चुका है. लेकिन अभियोजन पक्ष जूबेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन के बाद छोटू राणा का मामला भी वयस्क की तरह चलाने के लिए आवेदन न्यायालय में दिया गया है.

कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था थी मजबूत

अलीमुद्दीन हत्याकांड की सुनवाई को लेकर शुक्रवार को रामगढ़ न्यायालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी थी. भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किये गये थे. सुरक्षा की कमान डीएसपी मुख्यालय डा वीरेंद्र चौधरी, एसडीपीओ राधा प्रेम किशोर, सार्जेंट मेजर अनिल कुमार, रामगढ़ थाना प्रभारी राजेश कुमार के अलावा अन्य पुलिस अधिकारी संभाल रखे थे.

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