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स्थानीय जामा व ताहा मस्जिद में रविवार की रात तरावीह की नमाज मुकम्मल हुई. रमजान के चांद दिखने के बाद तरावीह शुरू हुआ था. 15 दिनों में नमाजियों ने मस्जिद में तरावीह की नमाज पूरा किया. नमाज खत्म होने के बाद नमाजियों के बीच शिरनी बांटी गयी. जामा मस्जिद के इमाम तौफीक आलम मिस्बाही ने बताया कि रमजान माह में रोजा रखना चाहिये. उसकी काफी अहमियत है. सबों को यह प्रयास करना चाहिये कि एक भी रोजा न छूटे. तरावीह का नमाज पढ़ने से सवाब मिलता है. तरावीह की नमाज़ महिला व पुरुष दोनों के लिए जरूरी है. जो नमाज अदा करते हैं उनको पूरा कुरान पढ़ने का सवाब मिलता है. मौलाना मिस्बाही ने माह-ए-रमजान और नमाजे तरावीह की अहमियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि अल्लाह रमजान में अपने बंदों काे काफी बरकत देते हैं. अल्लाह के हुक्म का सम्मान करें. यह महीना मोमिनों के लिए अल्लाह का सबसे कीमती तोहफा है. नमाजियों ने पेश इमाम को माला पहनाकर व गले मिलकर आभार जताया. नमाजियों ने देश में अमन चैन की दुआ मांगी. अल हुसैन कमेटी ने मस्जिद के पेश इमाम तौफीक आलम मिस्बाही व ताहा मस्जिद के हाफिज फैजान रजा को उपहार से नवाजा. मौके पर जामा मस्जिद के सदर नौशाद आलम, सेक्रेटरी सरफराज आलम, खजांची मोहम्मद अताउल्लाह, बाबू खान, एजाज खलीफा, मोहम्मद सैफुल्लाह, मोहम्मद अदनान अशरफ, शाहनवाज खान, समीर आलम, मोहम्मद अनीस , मोहम्मद मुजफ्फर, सकलैन, तैमूर, मोहम्मद लाडला, सुफियान, तासीफ, ताहा, हसनैन, तमसीर सहित कई लोग मौजूद थे.
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