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.आठ महीने से बंद रेल फाटक, अधर में लटका अंडरपास निर्माण

चंदननगर के 70 घरों के लोग कैदी जैसी जिंदगी जीने को मजबूर, ग्रामीणों में बढ़ा आक्रोश

चंदननगर के 70 घरों के लोग कैदी जैसी जिंदगी जीने को मजबूर, ग्रामीणों में बढ़ा आक्रोश

प्रतिनिधि, पड़वा

प्रखंड क्षेत्र के कजरी रेलवे स्टेशन के समीप पिछले आठ महीनों से अंडरपास निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। फरवरी माह में रेलवे फाटक बंद कर निर्माण कार्य शुरू किया गया था, लेकिन काम की रफ्तार बेहद धीमी है. इससे चंदननगर टोला के करीब 70 घरों के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. फाटक बंद होने के बाद ग्रामीणों को आने-जाने के लिए करीब पांच किलोमीटर दूर गाड़ीखास मार्ग का सहारा लेना पड़ता है। बारिश के दिनों में हालात और बदतर हो जाते हैं. लोगों को पैदल चलकर ही गांव तक पहुंचना पड़ता है. आपातकालीन स्थिति, खासकर बीमार व्यक्ति या बुजुर्गों को अस्पताल ले जाने में ग्रामीणों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. अंडरपास निर्माण के कारण ग्रामीणों का कोयल नदी तट स्थित शिव मंदिर, देवी मंडप और श्मशान घाट तक वाहन से पहुंचना असंभव हो गया है. ग्रामीणों का आरोप है कि संवेदक दो दिन काम करता है और चार दिन काम बंद रख देता है. आठ महीने बीत जाने के बाद भी निर्माण अधूरा है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह रवैया जारी रहा तो आने वाले महीनों में भी कार्य पूरा नहीं हो सकेगा. ग्रामीण अब आंदोलन के मूड में हैं.

घुटन महसूस कर रहे हैं ग्रामीण: महेंद्र पासवान

फोटो : डालपीएच 14

चंदननगर निवासी महेंद्र पासवान ने कहा कि रेलवे विभाग की लापरवाही से ग्रामीण पिछले आठ महीनों से कैदी जैसी जिंदगी जी रहे हैं. उन्होंने कहा, संवेदक यदि जल्द काम पूरा नहीं करता है, तो हम आंदोलन करने को मजबूर होंगे. आखिर इतने महीनों में भी अंडरपास पूरा क्यों नहीं हुआ, यह जांच का विषय है.

रेल विभाग ग्रामीणों के दर्द से बेपरवाह : श्रवण

फोटो : डालपीएच 13

श्रवण पासवान ने कहा कि रेलवे प्रशासन को ग्रामीणों की तकलीफ की कोई परवाह नहीं है. उन्होंने कहा, आपातकालीन स्थिति में मरीज को अस्पताल ले जाना बेहद मुश्किल हो गया है. बारिश के दिनों में हम लोगों की स्थिति और भी दयनीय हो जाती है.

बिना वैकल्पिक रास्ते के किया फाटक बंद: मणिलाल

फोटो : डालपीएच 15

ग्रामीण मणिलाल पासवान ने बताया कि फाटक बंद करने से पहले रेलवे को वैकल्पिक मार्ग तैयार करना चाहिए था.उन्होंने कहा, आठ महीने से सड़क सुविधा पूरी तरह बंद है. न नेता ध्यान दे रहे हैं, न अधिकारी. रेल प्रशासन ने रास्ता का कोई विकल्प नहीं दिया.

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