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नगर निगम क्षेत्र में करीब तीन हजार पीएम आवास अधूरा

मेदिनीनगर में प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत

मेदिनीनगर में प्रधानमंत्री आवास योजना की जमीनी हकीकत प्रतिनिधि : मेदिनीनगर: प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का उद्देश्य देश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को पक्का घर उपलब्ध कराना है. केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत इस सोच के साथ की थी कि हर गरीब परिवार को सुरक्षित और स्थायी आवास मिले. लेकिन मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र में इस योजना की स्थिति बेहद चिंताजनक है. यहां हजारों लाभुकों का सपना अधूरा रह गया है और सरकार का लक्ष्य भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. योजना की स्थिति नगर निगम क्षेत्र में कुल 35 वार्ड हैं. वर्ष 2015–16 से 2022–23 तक नगर विकास एवं आवास विभाग ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 6929 यूनिट आवास स्वीकृत किये थे. इनमें से अब तक केवल 3915 यूनिट ही पूर्ण हो पाये हैं. शेष लगभग 3000 यूनिट अधूरे पड़े हैं. यह आंकड़ा बताता है कि योजना का क्रियान्वयन जिस गति से होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया. किस्त भुगतान में देरी लाभुकों के लिए सबसे बड़ी समस्या किस्त की राशि का समय पर भुगतान न होना है. योजना के तहत आवास निर्माण के लिए लाभुकों को चरणबद्ध किस्तें मिलनी चाहिए थीं. लेकिन हकीकत यह है कि किसी को पहली किस्त मिलने के बाद दूसरी किस्त महीनों तक नहीं मिली, तो किसी को तीसरी और अंतिम किस्त का इंतजार है. वर्ष 2024 से ही आवास की राशि का आवंटन बंद हो गया था. जून 2025 में राज्य सरकार ने नगर निगम को राशि भेजी, लेकिन नगर आयुक्त का पद रिक्त होने के कारण भुगतान प्रक्रिया महीनों तक अटकी रही. इस कारण हजारों लाभुकों का निर्माण कार्य अधूरा रह गया और वे परेशान होते रहे. लाभुकों की कठिनाइयां इस स्थिति का सबसे बड़ा असर गरीब परिवारों पर पड़ा है. कई लाभुकों ने पक्का घर पाने की उम्मीद में अपनी झोपड़ी या कच्चा मकान तोड़ दिया. लेकिन किस्त की राशि समय पर न मिलने से वे किराए के मकान में रहने को विवश हैं. – बासमती कुंवर (वार्ड 33, सेमरटांड़): डेढ़ वर्ष पहले उनके नाम आवास स्वीकृत हुआ. पहली किस्त से नींव और प्लींथ तक काम पूरा किया. निगम कर्मियों ने जियोटैगिंग भी किया. लेकिन दूसरी किस्त अब तक नहीं मिली. वह झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं और दूसरों के घरों में दाई का काम करती हैं. – उषा देवी: पहली किस्त से डोर लेवल तक काम पूरा किया. लेकिन एक साल से दूसरी किस्त का इंतजार कर रही हैं. झोपड़ी तोड़कर किराये के मकान में रह रही हैं. प्रशासनिक उदासीनता लाभुकों का कहना है कि वे बार-बार निगम कार्यालय का चक्कर लगाते हैं, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन मिलता है. किस्त की राशि समय पर न मिलने से निर्माण कार्य रुक जाता है और भवन निर्माण सामग्री भी खराब हो जाती है. कई लोगों ने उधार लेकर काम शुरू किया था, लेकिन किस्त न मिलने से वे कर्ज में डूब गये. भुगतान में विलंब हुआ है : सहायक नगर आयुक्त नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त प्रमोद उरांव ने स्वीकार किया कि भुगतान में विलंब हुआ है. उन्होंने कहा कि अब कोषागार के जरिये लाभुकों के खाते में राशि भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. राज्य सरकार ने राशि नगर निगम को उपलब्ध करा दी है. हालांकि यह देखना बाकी है कि प्रक्रिया कितनी तेजी से आगे बढ़ती है और लाभुकों को राहत कब मिलती है.

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