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काम की तलाश में पलायन को विवश हैं मनरेगा मजदूर

प्रखंड के सभी 10 पंचायतों में सक्रिय मनरेगा मजदूरों की संख्या 8935 है. जिसमें से मात्र 266 मजदूरों को मनरेगा योजनाओं में रोजगार मिल रहा है. निबंधित 8669 मनरेगा मजदूर बेरोजगार बैठे हैं

ब्रजेश दुबे, विश्रामपुर

विश्रामपुर प्रखंड में अधिकतर मनरेगा मजदूरों को कार्य नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण मजदूर पलायन को विवश हैं. प्रखंड के सभी 10 पंचायतों में सक्रिय मनरेगा मजदूरों की कुल संख्या 8935 है. जिसमें से मात्र 266 मजदूरों को मनरेगा योजनाओं में रोजगार मिल रहा है. निबंधित 8669 मनरेगा मजदूर बेरोजगार बैठे हैं. मजदूरों का कहना है कि काम मांगने के बावजूद उन्हें रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जाता है, जिसके कारण अब सैकड़ों मजदूरों ने रोजगार मांगना ही बंद कर दिया है. विश्रामपुर प्रखंड में कुल 10 पंचायत है. जिसमें कुल सक्रिय मनरेगा मजदूर 8935 हैं. भंडार पंचायत में 960 सक्रिय निबंधित मजदूर हैं, जिसमें केवल 14 मजदूर वर्तमान में काम कर रहे हैं. वहीं बघमनवां पंचायत में 978 मजदूरों में से केवल 117 मजदूर मनरेगा योजनाओं में कार्यरत हैं. गुरी पंचायत में 1015 में से मात्र 15 मजदूर को कार्य मिला है. घासीदाग पंचायत में 1586 सक्रिय मनरेगा मजदूर हैं, जिसमे से मात्र नौ मजदूर ही काम कर कर रहे हैं. गुरहा काला पंचायत में 660 निबंधित मजदूरों में से मात्र दो मजदूर को ही कार्य उपलब्ध है. लालगढ़ पंचायत में सक्रिय 471 मजदूरों में केवल चार मजदूरों को कार्य मिला है. केतात कला पंचायत की स्थिति सब से बदतर है. यहां कुल 500 सक्रिय मनरेगा मजदूर हैं, जिसमें से एक भी मजदूर वर्तमान में कार्यरत नहीं हैं. सिगसिगी पंचायत में 1049 सक्रिय मनरेगा मजदूर में से मात्र 24 मजदूर को कार्य उपलब्ध कराया गया है. वहीं तोलरा पंचायत में कुल 831 मजदूरों में से मात्र 52 मजदूर मनरेगा योजनाओं में कार्यरत हैं. जबकि पंजरीकला पंचायत में 729 में से केवल 29 मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सका है. 240 कूप का निर्माण कराया जाना है विश्रामपुर प्रखंड में बिरसा सिंचाई कूप योजना के तहत 240 कूप का निर्माण कराया जाना है. इसमें प्रत्येक पंचायत में 24-24 कूप की खुदाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 240 कूप खुदाई के विरुद्ध 231 कूप ऑनलाइन प्रविष्ट हैं. जिसमें सभी पंचायत को मिलाकर मात्र 32 कूप की खुदाई का कार्य चल रहा हैं. घासीदाग पंचायत में 64 डोभा और 24 कूप स्वीकृत है, लेकिन ऑन रिकॉर्ड किसी भी योजना में कार्य नहीं चल रहा. हालत यह है कि इस पंचायत के 1586 सक्रिय मजदूरों में से केवल नौ मजदूर को मनरेगा में रोजगार दिया गया है. जबकि 20 जून के बाद सरकार द्वारा मिट्टी कार्य पर रोक लगा दी जाती है. ऐसे में मनरेगा मजदूरों को रोजगार कैसे मिलेगा, यह यक्ष प्रश्न है. जिसका जवाब न तो पंचायत प्रतिनिधियों के पास है और न ही प्रखंड के पदाधिकारियों के पास.

1700 से अधिक योजनाएं स्वीकृत

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि विश्रामपुर प्रखंड में 1700 से अधिक योजनाएं स्वीकृत हैं. जिसमे से 10 प्रतिशत योजना का भी धरातल पर क्रियान्वयन नहीं हो रहा है. जबकि आचार संहिता से मनरेगा के योजनाओं का कोई लेना-देना भी नहीं है. बावजूद स्वीकृत योजनाओं में कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है. जिसके कारण सक्रिय मनरेगा मजदूरों को कार्य नहीं मिल पा रहा है. मजदूरों की मजदूरी चार माह से बकाया विश्रामपुर प्रखंड में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी पिछले चार माह से बकाया है. समय पर मजदूरी नहीं मिलने के कारण मजदूर मनरेगा योजनाओं से विमुख होते जा रहे हैं. बीपीओ प्रभात कुमार की मानें तो आवंटन के अभाव में मजदूरों का मजदूरी भुगतान नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि बकाया मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया तेज की गयी है. आवंटन प्राप्त होते ही भुगतान कर दिया जायेगा. साल में 15 दिन भी नहीं मिलता है कार्य बघमनवा ग्राम पंचायत के एक निबंधित मनरेगा मजदूर राजेंद्र केसरी ने बताया कि साल में 15 दिन भी रोजगार नहीं मिल रहा है. पिछले 14 वर्षों के दौरान दो माह भी मनरेगा योजनाओं में कार्य नहीं मिला है. राजेंद्र केसरी तो एक बानगी मात्र हैं. प्रखंड के लगभग सभी सक्रिय मनरेगा मजदूरों का यही हाल है.

कार्य संस्कृति में लाना होगा बदलाव : जिला पार्षद

विश्रामपुर प्रखंड के जिला पार्षद विजय रविदास ने कहा कि प्रखंड, मनरेगा के पदाधिकारी व कर्मी अपनी कार्य संस्कृति में बदलाव लायें, तभी जाकर मजदूरों को रोजगार मिल पायेगा. तकनीकी दावं-पेंच बताकर मजदूरों को भरमा दिया जाता है. बार-बार प्रखंड कार्यालय का चक्कर कटवाया जाता है. योजनाओं की स्वीकृति व क्रियान्वयन से लेकर मजदूरी भुगतान तक में बेवजह का विलंब बंद करना होगा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर लोस चुनाव के बाद आंदोलन का रुख अख्तियार किया जायेगा.

मजदूर कार्य करने में नहीं दिखा रहे रुचि : बीपीओ

मनरेगा के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी प्रभात कुमार ने कहा कि मनरेगा सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. जिसे धरातल पर उतारने हेतु पदाधिकारी और कर्मी प्रतिबद्ध हैं. लेकिन विश्रामपुर प्रखंड में मजदूर कार्य में रुचि नहीं ले रहे हैं. जिसके कारण मनरेगा का कार्य पंचायतों में संचालित नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि मनरेगा मजदूर अपने-अपने पंचायतों में कार्य की मांग लिखित रूप से करें. उन्हें उनके ग्राम पंचायत में ही मनरेगा योजनाओं में रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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